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samandar Speaks

#sad_shayari Mukesh Poonia Siddharth singh Internet Jockey Gautam Kumar Satyaprem Upadhyay #कविता

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White ना पूछ मुझसे कोई अब बात जिंदगी की
बड़ी उलझी रही है हर चाल जिंदगी की

फूलों पे पत्थर शाखो पे तूफ़ान रहें हैं
बड़ी संगदिल रही है जज़्बात ज़िन्दगी की

यकीं जो ना आए कभी आकर देख लेना
आसमानी परों पे निशान जिंदगी की

खार में भी सुकून की तमन्ना ना छोड़ी
कभी ऐसी रही है उड़ान जिन्दगी की

यूं तो लहरों से अक्सर लड़ाई रही हैं
कभी छोड़ी ना फिर भी पतवार जिन्दगी की
Rajeev

©samandar Speaks #sad_shayari  Mukesh Poonia  Siddharth singh  Internet Jockey  Gautam Kumar  Satyaprem Upadhyay

samandar Speaks

#GoodMorning Mukesh Poonia Siddharth singh Gautam Kumar Internet Jockey Anant #कविता

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White 

"मैं सोचा नहीं करता, कौन अर्जुन है
कौन कर्ण है, कौन एकलव्य है
मैं तो बस सबको सृजन करता हूं
शायद इस बरगद की तरह,
जो सबको छांव देता है
पर अपनी जड़ें गहरी धरती में गाड़ लेता है
हर शाख से नई उम्मीदें खिलती हैं
पर मेरे हिस्से में सूनापन ही आता है।
मैंने न कभी भेदभाव किया
न किसी से कुछ वापस मांगा
बस खुद को हर पल लुटाता रहा
ताकि वो अपनी पहचान बना सके।
कौन कितना आगे बढ़ेगा, मैं नहीं जानता
कौन किस ओर मुड़ेगा, मैं नहीं देखता
मैं तो बस बीज बोता हूं
वो पेड़ बने या फूल, ये उनका भाग्य है।
मैं किसी से उम्मीद नहीं करता
कौन लौटेगा मेरे पास
मैंने अपना धर्म निभाया है
अब उनका जीवन उनका प्रयास।
शायद इसी में मेरा सुख है
कि मेरी छांव में वो पले हैं
कभी अर्जुन बनें, कभी कर्ण
मगर मेरा हृदय हर एक में धड़कता रहेगा

©samandar Speaks #GoodMorning  Mukesh Poonia  Siddharth singh  Gautam Kumar  Internet Jockey  Anant

Sonia Anand

Sadaa Baloch.....! Sanju Slathia Mukesh Poonia Kartik Singh Bhardwaj Only Budana #विचार

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Sudheesh Shukla

#cute आशुतोष पांडेय (Aashu) सनातनी Mukesh Poonia –Varsha Shukla Diksha Singh kirti Singh vishen #कॉमेडी

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Vishalkumar "Vishal"

#good_night Mukesh Poonia Mukesh Poonia #शायरी

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Raj

#life_quotes # ɴᴀᴅᴀɴ_______ᰔᩚ________√ प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे Raksha Singh Santosh Narwar Aligarh Mukesh Poonia #Life

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k. k

#PARENTS day special vineetapanchal advocate SURAJ PAL SINGH #Chauhan Ajay Singh Ashutosh Mishra Mukesh Poonia

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sushil

#rainy_season Laxmi Singh Kanchan Agrahari M.k.kanaujiya Nirankar Trivedi Mukesh Poonia #कविता

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sushil

#Sad_shayri Mukesh Poonia Kanchan Agrahari SAINI JI khushi saini Laxmi Singh #शायरी

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Priya Kumari Niharika

#sad_shayari Anudeep Mukesh Poonia Author Shivam kumar Mishra Jiwan Kohli Rohit singh #Poetry

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White  बांट दो सबको,  संतुलन बना रहेगा
 पर संतुलन तो बराबरी हुई ना?
 जिसमें समन्वय सहयोग और समानता हो ,
 यदि सामानता हुई तो ज्ञात होगा कभी?
 प्रजा कौन है,और राजा कौन?
 फर्क और हैसियत के बीच की पतली सी रेखा
 सबको ज्ञात होनी चाहिए
 कि तिलकधारी कभी झुकते नहीं, 
और क्षत्रिय भी कभी रुकते नहीं,
 व्यापारियों के बढ़ते प्यास ने बनाया जनता को एनीमिया का मरीज
 किसने निर्मित कि ये खाई,  ऊंचे हैं स्वर्ण और शूद्र है नीच?
 स्वयं को उच्च गिनाने में व्यस्त है संसार,
 सुखन मोची ने कल ही बताया, धोबी से बड़ा है सर चमार 
 दबाने और दबने से बचने के लिए, की जाती है चढ़ाई
  मिट्टी के टीलों पर, जिससे फिसलते मिट्टी के बड़े टुकड़े
 छोटे टुकड़ों को कुचलकर बढ़ना चाहते हैं आगे 
 अभाव, असुरक्षा और अमानवीयता से बिलखते तड़पते जिस्मो के
 और कितने टुकड़े नोचें जाएंगे?
 जल जंगल जमीन से जुड़े हाशिये पर खड़े असभ्य लोग 
 कब तक कहलाएंगे माओवादी?
 देश को स्वच्छ रखने वाले कब तक बने रहेंगे देश की गंदगी?
 कब मिलेगा इन्हें इनका हक और जीने के लिए जिंदगी?
 दलित आदिवासी कृषक,मजदूर और बेटियां 
 व्यथित हैं,सभ्य समाज का ताना-बाना बुनने वाले लोगों की धारणा और व्यवहार से
 आतंकित है ये उसे दहशत से जिसकी आग बरसों पहले लगाई गई 
 आधुनिक उदार विचार वाले सभ्य समाज.....के विचार तब तर्कसंगत नहीं लगते,
 जब अंतरजातीय विवाह के जिक्र मात्र से शुरू होता है 
आंतरिक द्वंद्व और बाहरी विवाद,
 तब यह विचार निष्पक्ष नहीं लगता जब अन्नदाता की भुखमरी
उसकी मृत्यु का कारण बनती है,
 तब यह विचार प्रासंगिक नहीं लगते, जब गरीब मजदूर 
 डेढ़ रुपए मजदूरी बढ़ाने के लिए देता है धरना 
 और रोकना पड़ता है विरोध, मात्र 25 रुपए मासिक वृद्धि पर
तब एक प्रश्न विचलित करता है, कि आखिर क्या मिलता होगा डेढ़ रुपए में 
तब यह विचार और चुभने लगता है,जब देश की प्रगति के नाम पर 
 विस्थापित किए जाते हैं आदिवासी अपने ही घर से
 यह सोच तब हमें तड़पाती है जब स्त्रियों की राय न पूछी जाती है न समझी 
 पद की प्रतिष्ठा के सिवाय सामान्य स्तर पर 
मानवीय सम्मान की दृष्टि से उसके अस्तित्व को 
 आज भी प्राथमिकता नहीं मिली 
 क्या इन श्रेणियों में विभाजित जन.... जन गण मन का जन नहीं?
 क्या सम्मान केवल उच्च वर्ग के लिए आरक्षित है?
 या है उसे पर इनका भी हक 
 यह सबरी केवट का देश है तो गाली से इनका स्वागत क्यों?
 ये एकलव्य या कर्ण का देश है तो बोली से इनको आहत क्यों?
 जब जब ईश्वर भी अवतरित हुए, तो उच्च घराने चुन लिये 
 अभिप्राय भला क्या समझूं मैं, भगवन भी के इनके सगे नहीं 
 याचना नहीं तू रण करना, क्यों आखिर अब तक जगे नहीं 
 अमानवता फैली हो, और तुम संतुलित रहे 
 तो समझ लेना तो आतताई के पक्ष में हो

©Priya Kumari Niharika #sad_shayari Anudeep Mukesh Poonia Author Shivam kumar Mishra Jiwan Kohli Rohit singh
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