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Dev Rishi
जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी... आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं.., उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा.... सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!! ©Dev Rishi शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
read moreVic@tory
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई, तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई, निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू, हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई। ©Vic@tory #आपकी तस्वीर नजर आई।
#आपकी तस्वीर नजर आई।
read moreVic@tory
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई, तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई, निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू, हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई। ©Vic@tory #तस्वीर नजर आई।
#तस्वीर नजर आई।
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे #विचार #love_shayari
read moreJayesh Sawant
White एका चुकीसाठी का रे तू रागावतोस आईला, किती चूका तुझ्या तिने पाहून नहीं पहिल्या, तुला खळ खळून हसवायसाठी किती वेळा ती रडली असेल, तिच्या हाताला गेले सोलावे तेव्हा तुझी काया घडली असेल, आज तिच्या प्रश्नांचा तुला कंटाळा येत असेल, तुझ्या हजार प्रश्नांची उत्तर देताना ती कधी थकली नसेल?, आज तिच्या बरोबर चालताना तुला लाज वाटत असेल, पण तुला चालायला शिकवताना तिची कंबर मोडली नसेल?, माझी काळजी करू नकोस अस तू सारखा बोलतोस तिला, नऊ महीने तिच्या पोटाताताले तू विसरलास का सोनुल्या.. ©Jayesh Sawant #mothers_day #Aai #आई
प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
छत असावे आई बाबांच्या आशीर्वादाचे नेहमीच डोक्यावर ! तेव्हा कोणताही संकट पेलवेल अगदी हातावर...! आई बाबांच्या आशीर्वादाचे छत असावे डोक्यावर .! हात त्यांचा हातात जीव असतो निवांत देवाने ही विश्वाचे अस्तित्व मानले आई बाबांच्या चरणात.! ©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे आई बाबा
आई बाबा #Shayari
read moreBROKENBOY
White कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसका आना , कभी जवानी याद आई , ये वक्त है कि दिन में पांव जमीं पर रहते हैं , रात में एक ख्वाहिश आसमानी याद आई , तस्वीर में सभी रंगों का होना भी जरूरी है , ठहरा हुआ मंज़र , तो कभी रवानी याद आई , ए फूल , नई बहारें , गुलशन नया नया सा है , फ़िर भी भूली बिसरी याद पुरानी आई ......... ©BROKENBOY #love_shayari कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसक
#love_shayari कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसक
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