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Stories related to मेला उत्तर कुमार

Singer Er Jk nigam

कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता Hinduism Kalki

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Mintu soni

डायनासोर का मेला नामी होता है #nojohindi

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Tamradhwaj Nishad

नाथे नवागांव कांकेर उत्तर बस्तर छत्तीसगढ़

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जो दिल से पुकार निकले वही प्रार्थना। न मंत्र, न तंत्र और न ही पूजा-पाठ। प्रार्थना ही सत्य है।

©Tamradhwaj Nishad नाथे नवागांव कांकेर उत्तर बस्तर छत्तीसगढ़

अभियंता प्रिंस कुमार

#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight

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White 

भू- राजस्व विभाग बिहार 
********
मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, ।
इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब 
कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है।
___________

©अभियंता प्रिंस कुमार #@अभियन्ता प्रिंस कुमार 
@अभियन्ता प्रिंस कुमार 
@abhiyanta_prince_kumar 
#goodnight

Yadav ji Ji

लखन कुमार

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Ravendra

बंद पड़ा मेला कुटी पर लगा आर ओ संयंत्र

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काव्य महारथी

काव्य महारथी सुनील कुमार नकुड़ सहारनपुर उत्तर प्रदेश भारत कविता कोश हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं

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Mohan Sardarshahari

उत्तर

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आज मैंने जिंदगी से पूछा
मैंने अब तक क्या पाया ?
जिंदगी ने उत्तर दिया
कितना खुश किस्मत है तू
कि खोने का डर ही ना रहा।

©Mohan Sardarshahari उत्तर

Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

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चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार

Shashi Bhushan Mishra

#कब तलक मेला चलेगा#

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कब तलक मेला चलेगा, 
फिर अकेलापन खलेगा,

दिवस का अवसान होगा, 
सूर्य   अस्ताचल   ढ़लेगा,

ख़त्म होंगे  बाग से फल, 
वृक्ष भी कबतक फलेगा,

बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, 
बर्फ  पर्वत  पर  गलेगा,

मोह में जिसके पड़े तुम, 
वही आकर फिर छलेगा,

फूँक कर तुम छाछ पीना, 
तप्त हो यदि  मुँह जलेगा,

लाख करलो कोशिशें तुम, 
लिखा विधि का ना टलेगा,

चूकना  अवसर न 'गुंजन',
हाथ फिर कबतक मलेगा,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra #कब तलक मेला चलेगा#
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