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Stories related to mirza asadullah khan ghalib ghazal

Surkh ( سرخ )

Note : Ghalib's real name was Asadullah Kha and frome the very beginning of his writing career he wrote under the penname Asad !! later he c

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White  बीज तेरे इश्क का कभी बोया ही नहीं,
कमज़ोर था लेकिन कभी रोया ही नहीं।
असद कहके पुकारते थे लोग मुझे,
मगर मैं कभी भी शायरों की महफिलों में गया ही नहीं।

©Surkh ( سرخ ) Note : Ghalib's real name was Asadullah Kha and frome the very beginning of his writing career he wrote under the penname Asad !! later he c

ℕᴀsʏᴀɴ Sʜᴀʜ

Sardar Nadeem

#poems Poetry #urdu #ghazal #Tranding #virqlreelsvideo #New #Shayari #shayaru #trending_video Singh Rajnish shahanz khan kobi TARIQ HASS

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ISLAMI VIDEO

beautiful ghazal

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Asma khan warsi

Poetry shayari on life Sonu Goyal Mirza raj Anirudh Sinwal Nawab Khan vivek d tiwari (जिंदा लाश)

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hmare jaiso ki maut jawani me likh di jati hai...
hum.jaise log faqat muh dikhane aate hai...🙃

©Asma khan warsi #Poetry  shayari on life Sonu Goyal  Mirza raj  Anirudh Sinwal  Nawab Khan  vivek d tiwari (जिंदा लाश)

Rnvirallive

diya mirza

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Nitish Tiwary

White 

अपनी हसरतों पर लगाम लगाने हमें नहीं आता,
उसकी मोहब्बतों का कलाम सुनाने हमें नहीं आता।

कश्ती अगर साथ छोड़ दे जिसका बीच भँवर में,
ऐसे समंदर को सलाम करने हमें नहीं आता।

जलते हुए खूबसूरत चिराग को बुझाने हमें  नहीं आता,
किसी के घर की रौशनी को मिटाने हमें नहीं आता।

पर्दे के पीछे यूँ सियासत करने हमें नहीं आता,
चुपके से महबूबा का घूँघट उठाने हमें नहीं आता।

पैमाने के ज़ाम को आधा छोड़ देना हमें नहीं आता,
मयखाने में यूँ अकेले महफ़िल जमाना हमें नहीं आता।

देखिए ना, सफ़र में कितनी धूप है, छाँव का नामो निशान नहीं,
बिना काँटों के मंज़िल तक पहुँचना हमें  नहीं आता।

©Nitish Tiwary #sad_qoute #ghazal

Rajneesh Kumar

#ghazal se

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मैकशी  सोलह  बरस  की  हो गई है
ज़िंदगी यूँ ही  गुज़ारी  आ भी जाओ

जिस  हवेली  पर  बहारें  मेहरबाँ थीं
ढह गई सारी की सारी आ भी जाओ








धुन  सुनाओ  बांसुरी  की  ए  मुरारी
चार सू है  मारा मारी  आ भी जाओ

©Rajneesh Kumar #ghazal se

"सीमा"अमन सिंह

White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका

बनारस की गली में वो मिला था,
नज़र में इक समुंदर सा खिला था।

वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की,
मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था।

हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी,
जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था।

गंगा के किनारे बैठते हम,
वो दिल में और दिल में बनारस बसा था।

मरण का भी वहाँ भय कैसा होता,
जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था।

©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora 
#ghazal

SHIVA KANT(Shayar)

White  तेरे गुलाबी गालों पे,कोई खूबसूरत ग़ज़ल लिख दूँ..!
साथ गुज़रे जो सुनहरे पल,उन्हें हसीं कल लिख दूँ..!

©SHIVA KANT(Shayar) #GoodMorning #ghazal
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