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NeetaS'Pahadanwrites
Koi dilchasp kahani haath lage.. 🩷 #pahadanwrites7013 wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry" title="Best wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry Shayari, Status, Quotes, Stories">#wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry-on-life" class="text-blue-400" target="_blank">whindi wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry on life wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry in hindi wpoetry" class="text-blue-400" target="_blank">wpoetry
read moreVishwas Pradhan
White उस चश्म को हम, आयतें-आफताब लिखते हैं। रुखसार को, रोशन-ए-महताब लिखते है। इन ख्यालों में जिसकी तवज्जो है इतनी, उस भ्रम को हम हुस्न की किताब लिखते हैं। आंखों में डूबने को शबाब लिखते हैं । मयखाने की मल्लिका को शराब लिखते हैं। नासाज़ कर दी जिसने जवानी ये मेरी, उस नशे को हम दोपहरी-ख्वाब लिखते हैं।।२ इश्क एक-तरफा हो तो खराब लिखते हैं। शायरों को अक्सर, ग़में-मिजाज लिखते हैं। केवल जानकी वियोग का हिसाब रखने वाले, मोहन तड़पें तो, प्रेम लाजवाब लिखते हैं।।३ एक अरसे तक चाहा, जिसे आज लिखते हैं। महज़ शायरी नहीं, हम तल्ख़े-ताज़ लिखते हैं। खुदगर्ज होना हो भले दस्तूर जमाने का, आज भी अपने गीतों में, उसे ही साज़ लिखते हैं।।४ ©Vishwas Pradhan #love_shayari hindi poetry urdu poetry #Jeevan #Prem #kavita #Shayari #kahani
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read moreSHIVAM MISHRA
White मेरे किसी भी किरदार की कहानी नहीं यहाँ लब, से थी जो ना उतरी र वानी नहीं यहाँ एक शाम के दहलीज पर फिरते रहे किदर आँखे बता रही थी मुँह पे जुबानी नहीं यहाँ मुन्तज़िर अहसाह में खुशबू कि तरह रहता दिल के अंजुमन की भी कहानी नहीं यहाँ 🥰🥰🥰🙏 ©Shivam mishra #GoodMorning hindi shayari #kahani #dardshayari #लव
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read moreBindi
न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है ©Bindi #maa #🩷❤️🪷 hindi poetry on life #ramayan