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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक सच्चा अनुभव . . विधा गहन विचार .
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, तथा झूठ एवं परनिंदा से बचना चाहिए, उसके साथ मन भगवान श्री कृष्ण का लगातार चिंतन करना चाहिए, और जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।। आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड इस समाज का ऐसा ना समझो कि, भैरव बस नाम वो विनाश का । आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । बह रहे हैं गंगाधारी, नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, हिमालय की हवाओं में जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।। लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके, हर रहे हैं मां बनके, और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके । ।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।। ॐ हर हर महादेव ॐ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #हरहरमहादेव #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #कविता #omnamahshivaya हर हर महादेव भक्ति सागर भक्त
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read moreNitu Singh जज़्बातदिलके
White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं अभिलाषाएं उसे फसल की ओर चींखने लगा जोर जोर से निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा नीरस पुष्प ही पाया था उसने काश! झांक पाता सहस्त्रों बार किये उन वादों की ओर जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने ©Nitu Singh जज़्बातदिलके जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
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