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Parasram Arora
White जिन्हे हम प्रेम करते है. उन्हें एक बार तो जाने डो अगर वे लौटते है तो समझ लेना वे अपने है और जो नहीं लौटते समझना वे कभी. अपने थे ही नहीं ©Parasram Arora कौन अपना कोयन प्राया
कौन अपना कोयन प्राया
read moreRadhe Radhe
White सिंह, सिंह होता है जहाँ बैठ जाए सिंहासन वही ठीक उसी तरह राजा खुद से राजा होता है जहां भी खड़े हो हर रूप में पहचान आ जाएगा जय श्री राम ©Radhe Radhe सिंह सिंह होता है
सिंह सिंह होता है
read moreneelu
White इंसान में दो अच्छी आदतें जरूर होनी चाहिए... कौन सी.... कौन सी ©neelu #Sad_Status #कौन सी #कौन सी
#Sad_Status #कौन सी #कौन सी
read moreRAVI PRAKASH
White कौन बताता है समन्दर का रास्ता नदी को। जिसे मंजिल का जुनून है वो मशवरा नहीं लेते। ©RAVI PRAKASH #Sad_Status कौन बताता है
#Sad_Status कौन बताता है
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White koun kambkhat jina चाहता है, mout to ek दिन आती hai aur apno ko रुला jati hai, hame to hamare apne ne रुलाया hai, ham to रोज hi mar रहे hai,,, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar) #sad_dp कौन जीना चाहता है?
#sad_dp कौन जीना चाहता है?
read moreVeer Tiwari
नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"
रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"
read moreAnita Agarwal
White भटकता है मन यहां वहां मन पर सुसज्जित कौन है हाथ में खंजर मुख पर मुस्कान बिखेरे, आत्मा रक्त रंजित कौन है बद से बदतर होते जा रहे आचार और विचार इनके दुष्प्रभाव से अकारण ही शोषित कौन है औरों पर एक तो चार खुद पर भी उठेगी इल्जाम लगाने से पहले देखो कि इंगित कौन है कब तक करते रहेंगे मिलावट श्रद्धा और भक्ति में भी एक बार तो सोचो कि कण कण में समाहित कौन है औरों की जानकारी रखते हैं स्वयं से ज्यादा पर सही मायने में स्वयं से परिचित कौन है ©Anita Agarwal कौन है
कौन है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
तुम कौन हो चले आते हो झांकने मेरे मन आँगन में ज़मी यादों को! चले आते हो उद्वेलित करने मेरे अंतर्द्वंद को, और मेरे विगत को मेरे सामने खड़ा कर, फिर, मुझे छोड जाते हो मेरी तन्हाइयों और मेरी मायूसियों में भटकता छोडकर... और तन्हा और अकेला!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha कौन हो तुम
कौन हो तुम
read moreComrade PREM
White प्रकृति की हासिन वादियों ने हमसें एक सवाल क्या ? तुम कौन हो कहीं तुम वही लुटेरा निर्दयी निर्मोही हत्यारा तो नही हो जो मुझे डसने आये हों । कहीं तुम मेरा चीरहरण करने वाला तो नही हों । कहीं तुम मेरा शोषण करने वाला बेशर्म तो नही मैं निशब्द हूँ उनके सवालों से मैं कौन हूँ ? भला ©prem yadav #sad_shayari मैं कौन हूँ ?
#sad_shayari मैं कौन हूँ ?
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