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Stories related to सिला रहमी

Qaseem Haider Qaseem

#Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है qh

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White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qhqofficial

©Qaseem Haider Qaseem #Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qh

बेजुबान शायर shivkumar

#जिंदगी में कभी कभी ऐसे #हालात भी आ जाते हैं कि ना कोई #हमदर्द मिलता है ना कोई #सहारा होता है ना कोई #उम्मीद मिलता है ना कोई इशारा होता

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जिंदगी में कभी कभी ऐसे हालात भी आ जाते हैं कि
ना कोई हमदर्द मिलता है ना कोई सहारा होता है
ना कोई उम्मीद मिलता है ना कोई इशारा होता है
यह जिंदगी जीने का भी अजीब सिला मिलता है
हमारे ना चाहते हुए भी यु " रोते-रोते मुस्कुराने का हुनर " आ जाता है मेरे दोस्त

©बेजुबान शायर shivkumar #जिंदगी  में कभी कभी ऐसे #हालात  भी आ जाते हैं कि
ना कोई #हमदर्द  मिलता है ना कोई #सहारा  होता है
ना कोई #उम्मीद  मिलता है ना कोई इशारा होता

Jitender Kumar

#darkness ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते हज़ार जाल लिए घूमती फिरे दुनिया तिरे असीर किसी के हुआ

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बता दें किसे आज क्या मिल रहा है । मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।। न रश्में न बंधन न कसमें न वादे । ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।

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Red sands and spectacular sandstone rock formations ग़ज़ल :-
बता दें किसे आज क्या मिल रहा है ।
मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।।

न रश्में न बंधन न कसमें न वादे ।
ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।।

न देखा न सोचा न समझा न जाना ।
कहे मुझको मेरा खुदा मिल रहा है ।।

किनारों में ही डूब जाते ये आशिक ।
न जाने कहाँ मशविरा मिल रहा है ।।

कदम दो कदम साथ अब जो चलो तुम
तो सच है तुम्हें भी खुदा मिल रहा है ।।

चले आओ जख़्मी जिगर आज लेकर
यहाँ चाहतों का सिला मिल रहा है 

पड़ो अब नही तुम हसीनों के पीछे
इन्हें हर तरफ दूसरा मिल रहा है

मिलेगा तुम्हें क्या वफ़ा इनसे करके 
इन्हें दिलज़लो से मजा मिल रहा है 

किया जो प्रखर ने वफ़ा टूटकर तो ।
वफ़ा से ही उसको जफ़ा मिल रहा है ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
बता दें किसे आज क्या मिल रहा है ।
मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।।

न रश्में न बंधन न कसमें न वादे ।
ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।
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