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Shailendra Anand
White रचना दिनांक 1,, नवम्बर,,2024 वार शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ्् ्््शीर्षक ्् ्््छाया चित्र में दिखाया गया दीपयज्ञ और, नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करें,, देश के शहीदों की समाधियों पर दीपदान करे ््् दीपावली पर दीए जलाकर किया गया है नगर कोट में,, भैरव भवानी और गणेश सर्व धर्म कर्म अर प्रथम निर्भीक साकार हो, प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। धान धनदायनी महालक्ष्मी पूजन करें जनसेवा ही, मानव जीवन में एक सुख से जन्मा आत्म सम्मान जरुरी है,,।। जो भी है वो लफ्जो से भावना से मन प्रसन्न हो,, प्यारा सा देश है संविधान से चलेगा,, तो हर कोई बाशिन्दा देश धर्म संस्कृति का, अनुठा दीपदान करने वाली प्रेरणा स्त्रोत बना सके।। जो स्वाधीनता के शहीदों की कूरबानी में आंखें डालकर उन वीरों की शहादत को सलाम करते हुए ,, हर नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करना परम आवश्यक है।। क्योंकि धड़कनों में बसा पंचतत्व में प्राण वायु हैं,, हर देश भक्त में शौर्यपूर्ण आन बान शान ओर जस्बात से, सजाया गया ज्ञर पर्व और त्योहार मनाना चाहिए।। तो आये सूफीवाद से भावना मन से सदभाव का, आयना नजरिया आनंद ही जिंदगी है,, यह दीपयज्ञ शहोदो की समाधि स्थल पर पहुंचे और, देश भर में दीपयज्ञ का मन से हरघर हरव्दार पर दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ले और पहुंचे शक्ति शहीदों की, समाधियों पर ख्यालात अच्छे लगते है कथन सच्चाई है। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 1,,, नवम्बर 2024। ©Shailendra Anand #happy_diwali देश भक्ति शहीदों के महत्व और आम आदमी और दीपदान का स्वरूप और प्रयोग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाना चाहिए। ्््््कवि शैलेंद्र आनं
#happy_diwali देश भक्ति शहीदों के महत्व और आम आदमी और दीपदान का स्वरूप और प्रयोग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाना चाहिए। ्््््कवि शैलेंद्र आनं
read moreARBAJ Khan
White शैतान की दासतान वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है। फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है। ©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ
काली दुनिया के शैतान के खोफ
read moreGhanshyam Ratre
नवरात्रि अंतिम दिन मां दुर्गा के नावें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को बारम्बार प्रणाम है। मां सिद्धिदात्री देवी आप सभी के मनोकामनाएं पूर्ण करें यश बल धन प्रदान करें। नवमी नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! जय माता दी ©Ghanshyam Ratre नवरात्रि मां दुर्गा के नावें स्वरूप सिध्दिदात्री
नवरात्रि मां दुर्गा के नावें स्वरूप सिध्दिदात्री
read morePrachi Sharma
White संगहीन जीवन के घाव स्वरूप दुर्लभ हो गया है चाव संगति थी क्या विशेष? कुचली इच्छाओं के वेश धरे स्मृति पद अतीत नीर नयन, व्याकुल चित्त ©Prachi Sharma #good_night संगहीन जीवन के घाव स्वरूप दुर्लभ हो गया है चाव संगति थी क्या विशेष? कुचली इच्छाओं के वेश धरे स्मृति पद अतीत नीर नयन, व्याकुल चि
#good_night संगहीन जीवन के घाव स्वरूप दुर्लभ हो गया है चाव संगति थी क्या विशेष? कुचली इच्छाओं के वेश धरे स्मृति पद अतीत नीर नयन, व्याकुल चि
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} फूलों के साथ कीड़े भी व्यक्ति के शरीर पर चढ़ जाते हैं, ऐसे ही श्रेस्र्ट और सदाचारी व्यक्ति के साथ से व्यक्ति का मन भी सदाचारी होने लगता है, भगवान की भक्ति का आगमन होने से परमार्थ की सिद्धि का संचार होने से जीवन जीने की कला आ जाती है।। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} फूलों के साथ कीड़े भी व्यक्ति के शरीर पर चढ़ जाते हैं, ऐसे ही श्रेस्र्ट और सदाचारी व्यक्ति के साथ से व्
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} फूलों के साथ कीड़े भी व्यक्ति के शरीर पर चढ़ जाते हैं, ऐसे ही श्रेस्र्ट और सदाचारी व्यक्ति के साथ से व्
read moreperson
गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
read moreSanjeev0834
माँ आदिशक्ति दुर्गा स्वरूप माँ वैष्णो देवी #maa #वैष्णोदेवी #sanjeev0834 nawab_saab💗🤞
read moreDR. LAVKESH GANDHI
खुशियों के पल जिंदगी में कभी-कभी खुशियों के पल आते ही रहते हैं ज़ब नाज करे दुनियाँ वह पल आ ही जाते हैं | ©DR. LAVKESH GANDHI #खुशियों के पल # #जिंदगी के हसीन पल #
खुशियों के पल # जिंदगी के हसीन पल #
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