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MiMi Flix
"वृंदा और चहकू – दोस्ती का सफर, जंगल की रहस्यमयी छाया, प्राचीन राज़, और रोमांचक गुफा यात्रा" - हरे-भरे जंगल में स्थित एक पुराना विशाल पेड़,
read moreBhupendra Ganjam
आज वो खुस तो बेशक बहुत होगे, किसी को दुःख देकर वो लोग कैसे खुस रह सकते है, " ख्वाहिश की मिट्टी की ओढ़ी थी एक चादर किसी ने अपना समझ चुर
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White चुरा लेना खूबसूरत.......... लम्हे उम्र से कयोकि..! जिम्मेदारियाँ फुरसत नही देती... ©Rameshkumar Mehra Mehra # चुरा लेना खूबसूरत,लम्हे उम्र से क्योकि,जिम्मेदारियाँ फुर्सत नही देती.....
# चुरा लेना खूबसूरत,लम्हे उम्र से क्योकि,जिम्मेदारियाँ फुर्सत नही देती..... #SAD
read more#Mr.India
White एक पत्नी ने अपने पति से बड़े प्यार से कहा, "सनम, क्या मेरे हुस्न में अब वो बात नहीं? क्या अब तुझे मेरी कोई याद, कोई प्यार नहीं? पहले तो तू मुझसे मीठी मीठी बातें करता था, क्या अब हमारी बातों में वो मिठास नहीं? क्या अब तेरे दिल में मेरे लिए वो जज़्बात नहीं? या तेरे प्यार का इज़हार करने का अंदाज़ बदल गया है?" पति ने खामोशी से नजरें झुका लीं, शायद उनके दिल में कुछ और ही था, पत्नी की आँखों में आँसू आ गए, शायद अब उनके प्यार में कोई बात नहीं रही। वो प्यार जो कभी आँखों में चमक लाता था, अब वही आँखें नम हो गई थीं, शायद वक्त ने उनके रिश्ते की मिठास को चुरा लिया, या शायद अब उस प्यार का कोई पता नहीं रहा। ©#Mr.India एक पत्नी ने अपने पति से बड़े प्यार से कहा, "सनम, क्या मेरे हुस्न में अब वो बात नहीं? क्या अब तुझे मेरी कोई याद, कोई प्यार नहीं? पहले तो तू
एक पत्नी ने अपने पति से बड़े प्यार से कहा, "सनम, क्या मेरे हुस्न में अब वो बात नहीं? क्या अब तुझे मेरी कोई याद, कोई प्यार नहीं? पहले तो तू
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से कोई कह दे उनसे गले से लगा लें बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें लगी आग जो तन बदन में हमारे उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें मिला जो अभी तक हमें चाहतों में उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें #शायरी
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