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RAVI PRAKASH
White दो पल के साथ में सारी दुनियां भूला बैठी ना सोची न समझी, मोहब्बत में खुद को गवां बैठी बिछड़े तो याद आया हकीकत का फ़साना., जो छोड़ गए मुझे अंधेरों में, उनके रोशनी के लिए मैं अपने दिल को जला बैठी... ©RAVI PRAKASH #sad_dp दो पल के साथ में सारी
#sad_dp दो पल के साथ में सारी
read moreRAVI PRAKASH
White खुद में झांकने के लिए जिगर चाहिए जनाब, दूसरों में बुराई बताने में तो हर शख्स माहिर होता है...!! ©RAVI PRAKASH #good_night खुद में झांकने के लिए जिगर
#good_night खुद में झांकने के लिए जिगर
read moreRAVI PRAKASH
White खुद में झांकने के लिए जिगर चाहिए जनाब, दूसरों में बुराई बताने में तो हर शख्स माहिर होता है...!! ©RAVI PRAKASH #good_night खुद में झांकने के
#good_night खुद में झांकने के
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White सांप के दाँत में... बिच्छु के डंक में... और इंसान के मन में कितना जहर भरा है ये बता पाना बहुत मुश्किल हैं ज्यादातर आज की सच्चाई एक अनोखी कविता यह कैसा कलयुग आया है जिसने इंसान को स्वार्थी और धोखेबाज बनाया है ©person #सांप के दाँत में... बिच्छु के डंक में... और इंसान के मन में कितना जहर भरा है ये बता पाना बहुत मुश्किल हैं 🙏
#सांप के दाँत में... बिच्छु के डंक में... और इंसान के मन में कितना जहर भरा है ये बता पाना बहुत मुश्किल हैं 🙏
read moreVikas Sahni
White सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना शेष शोर हैं, शेष चोर हैं और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक इस कायनात में कविता ही है इक, जिसे इस रूप में लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो इतिहास में किसी को प्रेम नहीं किया अलावा कविता के, अच्छा किया जो इतिहास में किसी को दिल नहीं दिया अलावा कविता के, कष्टों के काल में ऐसा सोचकर गर्व होता है, मातम-मलाल में ऐसा सोचकर गर्व होता है, कविता को वो नहीं नोच सकते, जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई देख नहीं सकता क्योंकि कविता को कोई छू नहीं सकता, जो कभी नहीं था थकता वह भी कदाचित कविता को तलाशते-तलाशते थक गया होगा। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
#कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
read moreVic@tory
ग़म के दरिया से मिलकर बना है यह सागर, तुम क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो, कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा, क्यों मेरी ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो। ©Vic@tory जीवन में दर्द के सिवा,
जीवन में दर्द के सिवा,
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