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katha(कथा )

#library 10 Dec Time-17:44

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Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ?
सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ?
जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है 
हर बार दुखता 

ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया 

ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? 

पत्थर की बनती तो जा रही हो 
पहाड़ों से लड़ते-लड़ते 

और यह हाथ दिखाना अपना जरा 
यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम 
खुद को ही कुचलती रहती हो 

ठहरो ,
मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो
तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, 
खुद से बेहद प्यार करना 

कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से
कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना
सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है
सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम 
बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है
अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना
बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या
थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है 
तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने 
थोड़ा स्वाभिमानी बनो
खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की
वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो!

©katha(कथा ) #library 
10 Dec
Time-17:44

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

Puja Kumari

नितेश मौगी भाग। #Shorts

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Deepa Tak

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Reon FarGan

मोटिवेशनल कोट्स हिंदीBecome A High Value Part 👉 44 | Reon FarGan #personalitychange #reonfargan

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siddhartha singh

mahabharat

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Sanjeev Khandal

#Mahabharat

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White अधिकार खो कर बैठ रहना, 
यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी 
दण्ड देना धर्म है।

इस तत्व पर ही कौरवों से 
पाण्डवों का रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के 
कल्पान्त का कारण हुआ।।

©Sanjeev Khandal #Mahabharat
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