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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी धरोहर राष्ट्र की गफलत में पड़ी है अंधकार है भविष्य इनके उड़ानों के पँख सत्ता के यहाँ कटे पड़े है कौन तराशे युवाओ के हुनर और योग्यता शिक्षा विज्ञान सब सियासतों के चंगुल में फँसे है लतो का चल रहा अड्डा आवारापन और नशो का शिकार हो रहा है निखारे गये ना अगर इनके चरित्र शासन प्रशासन पंगु मिलेगा डूबेंगे नैतिकता के सब पैमाने अराजकता का शिकार भारत होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Dosti उड़ानों के पंख सत्ता के यहाँ कटे पड़े है
#Dosti उड़ानों के पंख सत्ता के यहाँ कटे पड़े है
read moreBhanu Priya
लड़की हूं, इसलिए हर साल सुर्खी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत्ता, कभी मनाली न जाने कितनी हैं बिगड़ी, कितने आशियानों की रमजान, होली , दिवाली, हक का कहां मिला मुझे, दस्तूर ए जहां, आज इसने तो कल उसने सबने वादें किए मुझसे... यही रीत ज़माने की लड़ता हैं वह खुद के लिए , काश एक बार निकलता वह खुदसे और लड़ता मेरे लिए। ©Bhanu Priya #दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
#दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही होना और न ही कुछ कर सकते हो? भगवान श्री हरि का भजन करो जी।। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही हो
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्ता, ताकत, जवानी, जन्म- मरण, खुसी, गम सबकी एक्सपायरी डेट हैं, दुखी व चिंता मे मत जियो, कुछ भी नही हो
read moreSKgujjarchauhan
हरियाणा इलेक्शन रिजल्ट 2024 #हरियाणा #इलेक्शन #रिजल्ट 2024 #एसकेहरियाणा कोट्स लाइफ कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर लाइफ कोट्स success मो
read moreMiMi Flix
"शेर और चालाक कछुआ – जंगल की कहानी, बच्चों की रोचक नैतिक कथा" - हरे-भरे जंगल में, जहाँ ताकत का राज और डर का शासन था, वहाँ एक शक्तिशाली शेर ल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मातरु
राधा रानी के 28 नाम के जप मात्र से जीवन की सभी व्याधि नष्ट हो जाती है, राधे राधे 🙏 . . राधा रासेश्वरी रम्या कृष्णमन्त्राधिदेवता। सर्वाद्या
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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