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Anuj Ray
White तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन" तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन, मेरे दिल की धड़कनों ने, एक गीत सुन लिया है। गुनगुना रहा था ,जिस प्रेम की में सरगम, सपनों का वही राही, मनमीत सुन लिया है। ©Anuj Ray # तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन"
# तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन" #शायरी
read moreShayar shree (शायर "श्री")
तुमने ही तो कहा था, अब हम साथ अच्छे नहीं लगते...🥀💔 Shayari लव शायरी शायरी
read moreधाकड़ है हरियाणा
SumitGaurav2005
वापिस बोलने के लिए कहा था वही तो बोला मेरी क्या गलती है। #laughterkefatke #Memes #Comedy #Funny #Meme. #sumitmandhana #sumitgaurav #laugh # #ComedyVideo
read moreHeer
कुछ अनकही कहानियां मेरी जाने कहा को गई है, उस पल के अल्फाज थे जो आज याद न आते है। उस वक्त के विचार फिर से आज कैसे याद आयेंगे, जो बीत रही थी मुझ पर तब ही वो लिख पाएंगे। जाने कहा गई मेरी कुछ अनकही सी कहानियां, भीतर की वेदना को समक्ष आपके लाती थी जो, दर्द अपना बांटकर खुद को हल्का पाती थी मैं। जाने कहा गई वो अनकही कहानियां मेरी....!!! 😔 Alfazii 🖊️💙 ©Heer #Sad_Status #जाने कहा गई #अनकही कहानियां
#Sad_Status #जाने कहा गई #अनकही कहानियां #Poetry
read moreJEETENDRA Sharma
White वो भी जिद पर अड़ी थी मैं भी जिद पर अड़ा था, बात कौन करेगा पहले यही सवाल सबसे बड़ा था। ©JEETENDRA Sharma बडा था
बडा था #कोट्स
read moreMukesh Poonia
हिम्मत मत खोना अभी बहुत आगे जाना है जिन्होनें कहा था तेरे बस का नहीं है उनको भी करके दिखाना है . ©Mukesh Poonia #GoldenHour #हिम्मत #मत #खोना अभी बहुत आगे जाना है जिन्होनें कहा था तेरे #बस का नहीं है उनको भी करके दिखाना है शुभ विचार आज का विचार आज शुभ
#GoldenHour #हिम्मत #मत #खोना अभी बहुत आगे जाना है जिन्होनें कहा था तेरे #बस का नहीं है उनको भी करके दिखाना है शुभ विचार आज का विचार आज शुभ
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभी वह रिश्ते-नाते, बैठे ऊँचे आसन पे । पहचाने इंसान नही जो , भाषण देते जीवन पे ।। जिसे खेलना पाप कहा था , मातु-पिता औ गुरुवर ने । उसी खेल का मिले प्रलोभन , सुन लो अब सरकारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ..... मातु-पिता बिन कैसा जीवन , हमने पढ़ा किताबों में । ये बतलाते आकर हमको , दौलत नही हिसाबों में ।। इनके जैसा कभी न बनना , ये तो हैं खुद्दारों में । दया धर्म की टाँगें टूटी , इन सबके व्यापारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव.... नंगा नाच भरे आँगन में, इनके देख घरानों में । बेटी बेटा झूम रहे हैं , जाने किस-किस बाहों में ।। अपने घर को आप सँभाले, आया आज विचारों में । झाँक नही तू इनके घर को , पतन हुए संस्कारो से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव..... दौड़ रहे क्यों भूखे बच्चे , तेरे इन दरबारों में । क्या इनको तू मान लिया है , निर्गुण औ लाचारों में ।। बनकर दास रहे ये तेरा , करे भोग भण्डारों में । ऐसी सोच झलक कर आयी , जग के ठेकेदारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव ... बदलो मिलकर चाल सभी यह , प्रकृति बदलने वाली है । भूखे प्यासे लोगो की अब , आह निकलने वाली है । हमने वह आवाज सुनी है , चीखों और पुकारों से । आने वाले हैं हक लेने , देखो वह हथियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते वे अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभ
गीत :- उलझ रहा है निशिदिन मानव , जिनके नित्य विचारो से । भाषण देते बन अभिनेता , सत्ता के गलियारों से ।। उलझ रहा है निशिदिन मानव .... छोड़ सभ #कविता
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