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Mishra Agency
अंत का भी अंत होता है कुछ भी कहां अनंत होता है पतझड़ भी एक घटना है 12 महीने कहां बसंत होता है ©Mishra Agency #tree
Ajita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
read moreArpit Bhadoriya
उनके जाने से हम इस क़दर बर्बाद हुए जैसे पत्ते पेड़ से गिर गए और पेड़ भी दोबारा आबाद ना हुए। 💔 ✍️ABHAY ©Arpit #Zindagi ek safaR ✨ #tree
Dr.Govind Hersal
शज़र जो छांव दे रहा था उसे ही काटने लगे हैं लोग पढ़ा कर पाठ एकता का फिर बांटने लगे हैं लोग समझते थे उसूलों आदर्शों में पले बढ़े है लोग उन्हीं को कुचल कर अब आगे बढ़ने लगे हैं लोग । ©Dr.Govind Hersal #tree #Log #UNITY #Dhoka #lessonsoflife
#tree #Log #UNITY #Dhoka #lessonsoflife
read moreAjita Bansal
White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे, जो हमें मंज़िल तक ले जाते थे। कभी धूप में, कभी छाँव में, हम चलते रहे, सफ़र के साथ। हर मोड़ पर, हर इक ठहराव में, मिले हमसे कुछ किस्से नए। कभी हँसाए, कभी रुलाए, वो रास्ते भी हमें सिखाते गए। कभी ठोकरें खाईं, कभी गिरकर उठे, मंज़िल की ओर बढ़ते गए। वो रास्ते हमें समझाते रहे, कि संघर्ष ही है असली जीत का रास्ता। ©Ajita Bansal #Thinking poem of the day
#Thinking poem of the day
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