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Singer Er Jk nigam
मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन इंग्लिश
read moreusFAUJI
White हाल ही में "अष्टलक्ष्मी महोत्सव" 6 से 8 दिसंबर 2024 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित किया गया। यह महोत्सव पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, और सिक्किम) की समृद्ध सांस्कृतिक, आर्थिक और कारीगर परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया था। मुख्य आकर्षण: 1. ग्रामीण हाट: इसमें 300 से अधिक कारीगर, जैविक उत्पादक और किसान अपनी स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी के लिए शामिल हुए। 2. हस्तशिल्प और हथकरघा प्रदर्शन: मूगा और एरी सिल्क जैसे पूर्वोत्तर के पारंपरिक वस्त्र और 34 जीआई-टैग उत्पादों की प्रदर्शनी। 3. सांस्कृतिक कार्यक्रम: बिहू नृत्य (असम) और नागालैंड के लोकनृत्य जैसे प्रदर्शन। 4. निवेशक गोलमेज सम्मेलन और बैंकर्स शिखर सम्मेलन: पूर्वोत्तर में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए। 5. डिज़ाइन कॉन्क्लेव और फैशन शो: पूर्वोत्तर की हस्तशिल्प परंपराओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की कोशिश। इस महोत्सव का उद्देश्य पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक अवसरों को देश और दुनिया के सामने लाना था, साथ ही इसे "भारत के विकास का इंजन" बनाने की दिशा में काम करना था। ©usFAUJI अष्टलक्ष्मी ग्रामीण हाट दिल्ली #अष्टलक्ष्मी #उत्तरीभारती#india #VAIRAL #Nojoto
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read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreSanjeev Khandal
White अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है; न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है। इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ, जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।। ©Sanjeev Khandal #Mahabharat