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वैभव जैन

#एक दिया

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White *एक दिया जो भेद मिटाए,*
*क्या तेरा क्या मेरा है?*
*एक दिया जो याद दिलाये,*
*हर रात के बाद सवेरा है |*

©वैभव जैन #एक दिया

संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक तरु की दुराशा विधा निजी विचार भाव वास्तविक भवन्तः जानन्ति यत् भवन्तः दोषैः परिपूर्णाः स

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Yogi Raj Bharti

तुमसे बना

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

सुप्रभात 🙏🥀🥀 शीर्षक मां काली . . विधा सुविचार . . भाव भक्तिमय

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Shiva Sarika

#मोहब्बत बना दे

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Laxman

क्या दोस्तों देखिए कैसा बना है

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mehar

बस जाने दिया

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तुम रूठते तो मना लेती,गलती होती तो माफी मांग लेती।
मगर तुम तो छोड़ के जा रहे हो ,बोलो क्या ही कर लेती।
मोहब्बत में जबरदस्ती का राब्ता नहीं होता,
इसलिए जाने दिया,साथ रख कर भी क्या ही कर लेती।

©mehar बस जाने दिया

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार । जीने का मुझको म

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White गीत :-
मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।

जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार ।
जीने का मुझको मिला , एक नया आधार ।।
अब तो आठों याम मैं, करता हूँ गुणगान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।

मन मेरा गद-गद रहे , पाकर ऐसा धाम ।
जहाँ राम मेरे पिता , मातु जानकी नाम ।।
ऐसे चरणों ने मुझे , बना दिया इंसान ।
करता जिनकी चाकरी, बनकर मैं संतान ।।

अब तो जीवन का यही , मेरे है संकल्प ।
जितनी भी सेवा करूँ , लगे मुझे अब अल्प ।।
क्या माँगूं मैं आपसे , क्या दो अब वरदान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।

मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।

जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार ।
जीने का मुझको म

हिमांशु Kulshreshtha

इतना कुछ दिया....

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पीले पलाश के 
गंधहीन फूल से मेरे भाव 
जलते जंगल की सी तपन 
रातों का अकेलापन 
अनगिनत रतजगे
और न जाने कितनी करवटे
तुम से मिल कर... 
इतना कुछ पाया मैंने

©हिमांशु Kulshreshtha इतना कुछ दिया....

Pramod kumar y

राम बना तो सीता ना मिली

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