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Nitin Pathak
Unsplash चाहत की दुनिया में जीने का मजा है होठों पे मुस्कान और आंखों में चमक है ©Nitin Pathak #lovelife #ज़िन्दगी #की #शायरी
Mayuri Bhosale
नाटक.... जीवन आहे एक न संपणार नाटक, सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. नाटक असते एक रंगभूमी, पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. इथे सादर करतात अनेक कला, प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा, सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा. पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत, शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत. असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा. ©Mayuri Bhosale नाटक
नाटक
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नाटक.... जीवन आहे एक न संपणार नाटक, सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. नाटक असते एक रंगभूमी, पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. इथे सादर करतात अनेक कला, प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा, सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा. पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत, शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत. असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा. ©Mayuri Bhosale नाटक
नाटक
read moreAnuj Ray
White ज़िन्दगी देने वाले" प्यार के नाम पर सिर्फ़ मिलता है धोखा यहां, अब बदल से गए हुस्न वाले। फ़रेबी मोहब्बत से दिल भर गया, अब नहीं चाहिए दर्द के रास्ते गम के नाले। तेरी मर्ज़ी तू जब चाहे वापस बुला ले, तेरी दुनिया से दिल भर गया ज़िन्दगी देने वाले। ©Anuj Ray # ज़िन्दगी देने वाले"
# ज़िन्दगी देने वाले"
read morekatha Darshan
White रिश्तो की महक दूरियों से कम नहीं होती जीवन में अगर साथ हो सच्चे रिश्तों का तो जिंदगी स्वर्ग से कम नहीं होती ©katha Darshan #sunset_time रिश्तो की महक #Nojoto life quotes in hindi quotes on love inspirational quotes
#sunset_time रिश्तो की महक life quotes in hindi quotes on love inspirational quotes
read moreLalit Saxena
White मैं महक गांव की मिट्टी की छोड़कर शहर चला आया गांव के गहरे रिश्तों को तोड़कर शहर में रिश्ते बनाने चला आया हां........सफ़र गांव से शहर का कुछ मीलों का था लेकिन , फांसला अपनों से बहुत दूर का बना आया मेरा हर कदम अब बड़ रहा था बेशर्मी की ओर..... संस्कारों की दुनिया को स्वार्थ के कफ़न से खुद ही ढक आया था मैं महक गांव की मिट्टी की छोड़कर शहर चला आया था चल रहा था सैंकड़ों की भीड़ में फिर भी अकेला था शहर में गांव के अंधेरों में भी साया था अपनो का इन बड़ी बड़ी इमारतों में खुद ही कैद होने को आया था "ललित" अपनों को छोड़ सबसे बहुत दूर चला आया था। महक गांव की मिट्टी की छोड़ शहर चला आया था!!!! ©Lalit Saxena #महक