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Stories related to रोशनी खान की हरियाणवी रागनी

katha Darshan

रोशनी ! Katha Darshan

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Red sands and spectacular sandstone rock formations ख्वाबों की सजी थी महफिल
पर हसरत नीलाम हो गई

तूने क्या एक नजर देखा सांवरे
मेरी रूह तक तेरी गुलाम हो गई

©katha Darshan #Nojoto रोशनी  ! Katha Darshan

MasterChefkshma

आंखो की रोशनी बढ़ाने का शानदार इलाज

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Ghumnam Gautam

White  अब अँधेरों को मौत आएगी
क्योंकि इश्क़ उनको रोशनी से है

©Ghumnam Gautam #good_night 
#रोशनी 
#इश्क़ 
#ghumnamgautam

Mohan Sardarshahari

# हरियाणवी जलेबी

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जलेबी तो टेढ़ी ही रही
कईयों को सीधा कर गई
लड्डू वालों की शान में 
चार चांद भी लगा गई।।

©Mohan Sardarshahari # हरियाणवी जलेबी

Amit Seth

चंगेज खान nojoto #viral #Trending

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Mohan Sardarshahari

हरियाणवी जलेबी

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इश्क‌ इतना ना किया करो मुझसे
कि सुबह भी तुमसे,शाम भी तुमसे 
बन गई हो तुम मेरी हरियाणवी जलेबी
जुड़ गई सता भी तुमसे, खता भी तुमसे 
सपने भी तेरे और चहुं चर्चे बहुतेरे।। 

# हरियाणवी जलेबी

©Mohan Sardarshahari हरियाणवी जलेबी

Arjun Rawat पार्थ

#चांद #चांदनी #राग #रागनी #दूनीया #चेहरा Sethi Ji Kshitija Dr. uvsays Pankaj Pahwa लेख श्रृंखला

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Kiran Chaudhary

चाँद से रोशनी चुराई है..

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चाँद से रोशनी चुराई है,
तेरे दिल की राहों में सजाई है,
हर सुबह बस तेरी ख़ुशबू आए,
तू ही वो हसीन चीज़ है जो दिल में समाई है।

©Kiran Chaudhary चाँद से रोशनी चुराई है..

Amit Seth

शाहरुख खान nojoto #viral #Trending

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Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण  कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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