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Uttam Bajpai

शायरी चुटकुलेहमें पंजाबी नहीं आती है

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Veer Tiwari

गांव की एक शाम ....

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रात के 9:00  बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं।

गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं।

चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो।

आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं।

गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है।

यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है।

©Veer Tiwari गांव की एक शाम ....

gunjan jain

जिंदगी समझ नही आती

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हिमांशु Kulshreshtha

शाम का रंग...

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White शाम का रंग
तेरे रुखसार सा है
आँखों में झिलमिलाते
उम्मीद के दिए
शहतूत से रस भरे होंठ तेरे
इनमें रंग तेरे प्यार का है

©हिमांशु Kulshreshtha शाम का रंग...

Ekta Singh

एक लड़की थी

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Fuck off nojoto

वो पहले सिर्फ़ मिरी आँख में समायी थी , फिर एक रोज़ रगों तक उतर गयी मुझमें ... Anshu writer प्रज्ञा SHAYAR (RK) jhanvi Singh Anupriya

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वो पहले सिर्फ़ मिरी आँख में समायी थी ,
फिर एक रोज़ रगों तक उतर गयी मुझमें ...

©Arshu.... वो पहले सिर्फ़ मिरी आँख में समायी थी ,
फिर एक रोज़ रगों तक उतर गयी मुझमें ... Anshu writer  प्रज्ञा  SHAYAR (RK)  jhanvi Singh  Anupriya

हिमांशु Kulshreshtha

हर रोज़..

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Red sands and spectacular sandstone rock formations दिल हर रोज़ 
तुम्हारे होने का 
अहसास करता है
जबसे गए हो तुम 
रोज़ तुम्हें याद करता है..!!

©हिमांशु Kulshreshtha हर रोज़..

Ashok Verma "Hamdard"

रात सपनों में आती है

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Sundeep Kumar Sk

jaishreekrishna शाम शायरी shayaari

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बदनाम

समझ में नहीं आती है।

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