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Ram Yadav
मैं हिचक के कहता हूं 'मैं' हूं ।।।।।।।। वो हंस कर कहता है, देख 'मैं' क्या हूं ।।।।।।।।।😌 ©Ram Yadav #अध्यात्म #सनातन #भारत सुविचार इन हिंदी अनमोल विचार आज का विचार बेस्ट सुविचार नये अच्छे विचार
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को तोड़ने की साज़िश रची गई, सादी विवाह के लिए हम सब ने अपने आप बाट लिया, जो काम करता था, वही जाती मानली, यह सरासर गलत है, धर्म व शास्त्र विरुद्ध हैं, यह व्यवस्था है, जाति नही है, सबका शरीर परम् पिता ने बिल्कुल एक सा बनाया है, और हम सदा से सर्वदा सनातन से हैं, आगे आप सब की बुद्धि व विचारधारा हैं, दोस किसी का नही, अब हर जाति व धर्म में विवाह हो रहे हैं, पूरी दुनिया का मालिक एक और हम सब उस मालिक के, सबका खून लाल, हा विधि, विकार, विचार, रहन-सहन, भाषा और बहुत कुछ अलग हो सकता है।। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
#diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
read moreMahesh Panchal 'Mahi'
https://youtu.be/_0xuXE1lHlM?feature=shared ©Mahesh Panchal 'Mahi' https://youtu.be/_0xuXE1lHlM?feature=shared #सनातन #हिन्दू #देवी #श्री_त्रिपुर_सुंदरी #साधना #स्त्रोत #धर्म #भक्ति #आस्था
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read moreMahesh Panchal 'Mahi'
White 🙏🌹🚩 #श्री_त्रिपुर_सुंदरी_साधना_स्त्रोत 🚩🌹🙏 #जय_माँ_त्रिपुरे #जयमातादी #माँ #सनातन https://youtu.be/_0xuXE1lHlM?feature=shared महामाया सर्वमंगला आद्यशक्ति राजराजेश्वरी भगवती माँ के इस "श्री त्रिपुर सुंदरी साधना स्त्रोत" के माधुर्य एवं लालित्य के माध्यम से #दैवीय_स्पंदन को अपने अन्तस् में जाग्रत करें.. आत्मसात करें... और स्त्रोत के नित्य श्रवण-भजन से दैवी को प्रसन्न कर अनहद आशीष प्राप्त करें। 👇 https://youtu.be/_0xuXE1lHlM?feature=shared कृपया इस ☝️ लिंक को सभी सनातन प्रेमियों / दैवी भक्तों तक अधिकाधिक #SHARE 🙏 करें। कृपया channel को 👉 #SUBSCRIBE 👈👈 अवश्य करें और LIKE / COMMENT कर .. या कोई सुझाव हो तो प्रेषित कर स्नेहाशीष प्रदान करें। सादर धन्यवाद। ©Mahesh Panchal 'Mahi' #सनातन #स्त्रोत #देवी #त्रिपुरा #त्रिपुर_सुंदरी #धर्म #भक्ति #हिन्दू #साधना #आस्था https://youtu.be/_0xuXE1lHlM?feature=shared
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
read moreVinod Mishra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
सर्वेभ्यः संस्कृतदिने शुभकामना🙏 आप सभी को संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वलिखित रचना शीर्षक संस्कृत भाषा विधा कविता भाषा शैली संस
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