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TeacherShailesh
दोस्त या दुश्मन किससे हम ज्यादा सीखते हैं? #teachershailesh #supersamvaad #Motivational
read moreFuck off nojoto
मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... ©Arsh.... मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... jhanvi Singh Riti sonkar Bee
मजबूर हूँ इस कदर जिंदा हूँ मगर जिंदगी से दूर हूँ , बिन गुनाह किये गुनहगार बनाया किससे कहूँ कि बेकसूर हूँ ... jhanvi Singh Riti sonkar Bee #SAD
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ । तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।। मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया । जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।। सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को । जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।। पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया । कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।। तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले । वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।। सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया । किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।। और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया । कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो #कविता
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White ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है करना था इसे काम तरक्की हो वतन की फ़िर्को में बटा लड़ता क्या नादान नहीं है किससे करूँ मैं जाके शिकायत भी अदू की पहचान मगर इनकी भी आसान नहीं है इतना न करो जुल्म़ भी सरकार सभी पर इंसान की औलाद है शैतान नहीं है हर जुल्म़ लिखा होगा हिसाबों में तुम्हारा बन्दे खुदा के घर के बेईमान नहीं है दौलत के पुजारी हैं न होंगे ये किसी के जो मजहबों में बाटता इंसान नहीं है कुछ लोग हैं दे देते हैं जो जान वतन पर इस मुल्क़ की ऐसे तो बढ़ी शान नहीं है अब और न तारीफें करें आप यहाँ पर अब इतने भी अच्छे यहां परिधान नहीं है आया खुदा के घर से तो इंसान प्रखर था पर आज उसी की कोई पहचान नहीं है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है
ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है #शायरी
read moreDevesh Dixit
वीराने से रास्ते देख हुआ भयभीत था, वो वीराने से रास्ते। एक परिंदा तक नहीं था, मेरी हिम्मत के वास्ते। चौराहे पर मैं खड़ा था, कहीं जाने के वास्ते। थम चुके थे पैर भी मेरे, देख ये वीराने रास्ते। किससे पूछूँ पता मंजिल का, कौन मुझको बताएगा। डरा सहमा सा मैं खड़ा था, कौन हिम्मत दे जाएगा। बाकी तरफ भी दूर-दूर तक, सिर्फ थे वीराने से रास्ते। हिम्मत कर मैं बढ़ चला था, अपने मंजिल के वास्ते। कौन सी डगर को बढ़ चला मैं, सब थे अनजाने से रास्ते। पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, सभी थे वीराने से रास्ते। चलते-चलते तभी रुका मैं, जब मंजिल थी मेरे सामने। वीरानों को छोड़ आया मैं, जो लगे थे मुझको थामने। ..................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #वीराने_से_रास्ते #nojotohindi #nojotohindipoetry वीराने से रास्ते देख हुआ भयभीत था, वो वीराने से रास्ते। एक परिंदा तक नहीं था, मेरी हिम्
#वीराने_से_रास्ते #nojotohindi #nojotohindipoetry वीराने से रास्ते देख हुआ भयभीत था, वो वीराने से रास्ते। एक परिंदा तक नहीं था, मेरी हिम् #Poetry #sandiprohila
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