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gudiya
White हिमालय किधर है? मैने उस बच्चे से पूछा जो स्कूल के बाहर पतंग उड़ा रहा था उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है ! -केदारनाथ सिंह ©gudiya #nojotophoto उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है !
nojotophoto उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है !
read moreM.K Meet
White मैं मुहब्बत हूं या जरूरत पता नहीं!! ************* कभी उसको हमसे बात करने की बेचैनी हूआ करती थी कभी वह हमसे बात करने को पागल रहा करती थी कभी बह हमसे बात करने के लिए तड़पा करती थी क्योंकि.......................................... कभी वो हमसे बे इन्तेहा मुहब्बत किया करती थी !!!!! और अब......................................... उसने कहीं और बात करना शुरू कर दिया है उसकी बेचैनियां कहीं और है उसकी तडप कहीं और है वो पागल होने लगी है किसी और के लिए उससे बात करने के लिए मुझे इग्नोर करने लगी हैं! क्योंकि मैं.. अब उसकी मुहब्बत नहीं ,सिर्फ जरूरत बनके रह गया हूं! मैं मुहब्बत हूं या जरूरत पता नहीं दिल अभी भी मुहब्बत कहता है और दिमाग अब जरूरत समझता है और मैं उलझन में हूं 😂😂😂 ?? . ©M.K Meet #मै बड़ी उलझन में हूं!
#मै बड़ी उलझन में हूं!
read moremehar
White उसे मुझसे इश्क करना बस एक गलती लगा। और मुझे सच्चा लगा। शायद मै ही नहीं पहचान पाई उसे, मै उसकी महज जरूरत थी, उसके लिए उसकी दुनिया का तलबगार शायद कोई और ही लगा। ©mehar मै नहीं
मै नहीं
read mores.p
कभी सुन तो जरा जो मैं कह ना सका मेरी दुनियां तुम्ही हो तुम्ही आसरा... ©s.p # मै कह ना सका....
# मै कह ना सका....
read moreआनन्द कुमार
White दरवाजा बन्द ही कहां था? बस हमने खटखटाना छोड़ दिया। देख लोगों की बेरुखी, हमने अपना मुंह मोड़ लिया। लोग बुलाते थे हमे वें मन से, हमने उनकी महफिलों में जाना छोड़ दिया। रूबरू होते थे जो मतलब, हमने उनको बेमतलब बुलाना छोड़ दिया। दर्द थे कुछ अपने, हमने उनको बताना छोड़ दिया। -------------आनन्द ©आनन्द कुमार #मै #तुम #खटखटाना हिंदी कविता
Shashi Bhushan Mishra
ज़िन्दगी चलती नहीं क़िताब से, चला करिये उम्र के हिसाब से, भोर में चिड़िया जगाने आ गई, सोईए मत जागिए भी ख़्वाब से, बारिशों में नदी हर नाला लगे, उतर जायेगा महज बहाव से, हरतरफ बैठा शिकारी घात में, आत्मरक्षा कीजिए बचाव से, सजगता से करें रक्षा फसल की, कीटनाशक डाल दें छिड़काव से, प्रेम से पालें कबूतर शांति का, धूप बारिश रोकिए मेहराब से, तिश्नगी भी बढ़ाती बेकली 'गुंजन', मिला करियेगा दिल-ए-बेताब से, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #चला करिये उम्र के हिसाब से#
#चला करिये उम्र के हिसाब से#
read moreJEETENDRA Sharma
White पता ही नहीं चला केसे दिन गुजर गए, पता तो तब चला जब तुम बदल गए। ©JEETENDRA Sharma पता नहीं चला
पता नहीं चला
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