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Satish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreParasram Arora
White हे मेरी मर्दुल मृत्यु तु मुझे संसारिक दुखो के प्रहार से बचा कर दुर कही लें चल मुझे डर है कहीं तुम्हारे आने से पहले ये पीड़ाए मुझे जीते जी मार न दें ©Parasram Arora हे मेरी मर्दुल मृत्यु
हे मेरी मर्दुल मृत्यु
read more. श्रीरंग
White वर वर बोलतो देवा मला पाव, आतमध्ये मानवा स्वार्थाचा भाव. वर वर बोलतो देवा तु सर्वस्व, आतमध्ये बोलतो कोणी कोणाचं नसतं. वर वर बोलतो देवा हाकेला धाव, आतमध्ये मानवा स्वार्थाचा भाव. वर वर बोलतो देवा मला पाव, विज्ञानाच्या पायी केला त्याच्यावरच घाव. वर वर बोलतो देवा माझा भाव, आतमध्ये मानवा नाही कशाचाच ठाव. वर वर बोलतो देव माझा धनी, आतमध्ये मानवा फक्त तुला पाहिजे मनी. वर वर दाखवतो समाधानी भाव, आतमध्ये मानवा ईर्ष्या घालती घाव. अश्या ह्या मानवाला, बोध काही केल्या होईना देव न शोधता, त्या दगडातच अडकला??? ©. श्रीरंग वर वर बोलतो देवा मला पाव.
वर वर बोलतो देवा मला पाव.
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