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Sanjeev0834
हम तो साहबजादे नेहा में इतना ही जानते थे। लेकिन मुझे नहीं पता कि पहले उन पर कितना अत्याचार किया गया था.' #पहली यातना-परिवार से अलगाव #दूसरी यातना- भूख भी अपने आप में एक बड़ी यातना है #चौथा अत्याचार- गंगू ने उसकी प्रेम की पोटली लेकर उससे नाराज हो गई और मुगलों को बाहर से दरवाजा बंद करके मजबूर कर दिया। #पंजवा अत्याचार- मारिंडा ले जाने से पहले उन्हें बोरों में बंद कर घोड़ों पर लाद दिया गया और माता गुजर जी की भुजाओं को काली मिर्च लगे कपड़े से ढक दिया गया। ईश्वर #छठा अत्याचार- दो सरकारी अधिकारियों ने इनाम पाने के लिए साहिबजादों को टूटू डंडे से पीटा लेकिन उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया। #सातवीं यातना- बाद में उन्हें पेड़ से बांधकर गुलेल से मारा गया। #आठवीं यातना- मोरिंडे से सरहिंद साहिबजादों को हथकड़ी लगाकर टोरक्वे ले जाया गया। ईश्वर #नोवाटॉर्चर- ठंडे टॉवर में रखा गया पोह के महीनों तक पतले कपड़े तीन दिन तक भूखा रखा गया सर्दी भी एक बड़ी यातना है #दसवीं यातना- जीवित दीवार में पहचाना जाना। #ग्यारहवीं यातना-- चिनाई के दौरान घुटनों से ईंटें निकल रही थीं तो काजी ने कहा कि सरकारी ईंट को नुकसान मत पहुंचाओ, इनके घुटने छील दो। #बारहवीं यातना - आधे जीवित साहिबजादे ने अपने पैर शहीदों की घुटनों पर रख दिये। ©Sanjeev0834 #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #Punjabi love poetry in hindi sad poetry hindi poetry on life punjabi poetry H
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read moreHarneet
White बातें कुछ अधूरी सी, तेरे मेरे सपनों की , कुछ कही अनकही सी, तेरे मेरे अपनों की, कहना बहुत कुछ है, पर दिल डरता है, तेरे ख़फ़ा होने का डर, हर दिन मुझे लगता है....,,,, ©Harneet #love_shayari poetry quotes punjabi poetry poetry on love Hinduism
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read moreBunty khanpuri
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read moreBindi
न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है ©Bindi #maa #🩷❤️🪷 hindi poetry on life #ramayan