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Arjun Rawat पार्थ
Rajinder singh bhati
आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार आज मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहता हूं आप लोग मेरे मैसेज पढ़ते हो उसे मैसेज में मैं ज्यादातर कोशिश करता हूं कि मनुष्य कैसे अच्छा बने और कैसे उसने गुण धारण करने चाहिए या कैसी सोच रखनी चाहिए और उसका व्यवहार कैसा होना चाहिए इस विषय पर मैं निरंतर आपको संदेश देता रहता हूं और मेरे संदेश पढ़कर अगर किसी को ऐसी जिज्ञासा होती है कि मैं और अधिक जानकारी लूं तो आप निशंक कोच किसी भी विषय की जानकारी ले सकते हो टेलीफोन के द्वारा या आमने-सामने बैठकर और खास तौर से मैं आप सबको यह बताना चाहता हूं आज मैं आप सबके बीच में हूं तो मैं ईश्वर की कृपा से जो मुझे प्राप्त हुआ है जो मैंने अध्यात्म के गुण रहस्य का अनुसंधान करके सत्यता का पता लगाया है उसे विषय में मुझे आप जानकारी ले सकते हो और टेलीफोन से या आमने-सामने बैठकर भी संभव है क्योंकि मैं यह कार्य करने के लिए हमेशा तैयार हूं जो मेरे पास है वह मैं आपको सजा करने के लिए हर वक्त तैयार हो आप आप इस समय का जो मेरे पास है पूरा लाभ ले सकते हो मैं जो भी कुछ जानता हूं उसमें किताबी सामग्री काम है और मेरा पर्सनल साधना के द्वारा प्राप्त हुआ है राजेंद्र भाटी ©Rajinder singh bhati #Thinking आध्यात्मिक और ज्ञान की बातें
#Thinking आध्यात्मिक और ज्ञान की बातें
read moreAnand Kumar Ashodhiya
निर्भया - नई हरयाणवी रागणी वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या गया मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
Anand Kumar Ashodhiya
पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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