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Shailendra Anand
White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand #sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि
#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि
read moreGhumnam Gautam
गीतांश― प्राण नेहिल दस्तकों ने तज दिए पर पट तुम्हारा मेरे प्रियवर खुल न पाया ©Ghumnam Gautam #दस्तक #नेहिल #प्राण #ghumnamgautam
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read moreअपनी कलम से
White प्रेम में अक्सर हीं आदमी बेचारा हो जाता है || ........... ©अपनी कलम से #love_shayari Kavi Himanshu Pandey silence quotes (सवाल आपके भी मन में विचरण कर रहे होंगे कि कैसे जवाब कुछ पंक्तियों द्वारा Caption में पढ
#love_shayari Kavi Himanshu Pandey silence quotes (सवाल आपके भी मन में विचरण कर रहे होंगे कि कैसे जवाब कुछ पंक्तियों द्वारा Caption में पढ
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White // सृजन के संग्राम // इंजीनियरों का जीवन है , मेरी मेहनत का संग्राम हर दिन एक नई चुनौती है , हर रात एक नया काम ।। इन नये नये मशीनों की धुन है , और अनेक विज्ञान का ये मेल उनके बिना ये अधूरी है , हर एक व् नये प्रगति की ये रेल ।। इन पुलों से सड़कों तक, इमारतों से गांव तक ये इंजीनियरों के बिना , ये सब अधूरा है हर ठांव तक ।। उनकी मेहनत और लगन , मेरे इस देश का प्राण है उनके बिना ये अधूरी , हर एक निर्माण की ये शान है ।। अपने इन धातु और कंक्रीट से , रचते नई ये एक कहानियां के उनके बिना ये अधूरी सी , जो हमारी सभी ख्वाहिशें के ।। मेरे देश की तरक्की में , इनकी ही तो सबसे बड़ा योगदान ये इंजीनियर ही तो होते हैं , हर वो निर्माण का प्राण ।। अपने इन रातों की नींद को खोकर, यु करते हर समाधान हर एक समस्या का हल, उनकी वो सोच का कमाल ।। अपने उन सपनों को देते हैं, वो वास्तविकता का रंग वो इंजीनियरों का है ये योगदान , जो सबसे देते अनमोल संग।। ©बेजुबान शायर shivkumar #engineers_day #Engineering #engineersDay #Engineer #बेजुबानशायर #कविता95 #happyengineersday Kshitija writer....Nishu... Sethi Ji poona
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
White //____❤️ " हे मेरे महादेव प्रभु " ❤️____// !! मुझे आपका ये कैसा रोग लगा है " महादेव " ये तड़प जो मेरे ह्रदय में नित उठे हो !! !! मेरे इस नैनन दाह रोमो में कैसी ये पीड़ा है ऐसा लगे कि मेरे महादेव मुझसे ही रूठे हो !! !! मेरा जो रोग वो मिटाय ,उनकी ये दर्शन झलकी वैद्य वे अति ही अनूठे हो !! !! आओ " मेंरे महादेव प्रभु " पास तुम बिन कभी न ये प्राण छूटे जो !! //___❤️ जय हो भोलेनाथ ! जय हो भंडारी ❤️___// ❁ ☞ ॐ नमः शिवाय ☜ ❁ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #omnamahshivaya #harharmahadev #mahadev #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 Sethi Ji Kshitija puja udeshi write
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read moreShilpa Yadav
White मिट रही विभावरी, प्राण निकलता जा रहा है खेद औ विपदा कैसी,विहान उगता आ रहा जिजीविषा जगी, कर रही श्रृंगार प्रकृति का हस्तलकीरें बनी है जैसे दे रही संदेश सुख का सुखद क्षण आएगा, कर्ण में अलि गीत गा रहा ©Shilpa Yadav #Sad_Status #Shilpayadav#shilpayadavpoetry #nojotohindi#nojotoenglish#nojotohindiquotes ANOOP PANDEY shivom upadhyay Vishalkumar "Vishal" Pa
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
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