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Stories related to निर्भया का भाववाचक संज्ञा

Anamika Tyagi

White  जिस समाज को ना तुम्हारे जीने की खुशी ना मरने का गम 
उसकी झूठी शानो शौकत के लिए क्या मरना 
जिस समाज ने तुम्हे तिल तिल कर मारा 
उसके आंसुओं को क्या पूछना
जिस समाज ने सवाल दाग दाग कर तुम्हे अधमरा कर दिया 
उसकी मृत्यु पर क्या रोना 
जिस समाज ने तुम्हारा हंसना बोलना चलना सब पे पाबंदी लगा रखी 
उस में क्या रहना 
आज़ादी मुबारक
मौत मुबारक
मेरी प्यारी बहनों
मेरी बहनों तुम्हे जन्नत उल फ़िरदौस मिले
ना आना इस समाज मेरी बहनों 
ना आना इस देश मेरी बहनों

©Anamika Tyagi #निर्भया
#कोलकाता_डॉक्टर

manipratap

प्यार का.....

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White उदास हु पर तुमसे नाराज नही
तेरे दिल में हु पर तेरे पास नही
झुठ कहु तो सब कुछ हैं मेरे पास और सच कहूँ तो तेरे सिवा कुछ नही है मेरे पास अस्मिता लव यू

©manipratap प्यार का.....

Avadhesh Verma

दियरा का राजा का महल

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Ram Yadav

#love_shayari आज का विचार आज का विचार #अध्यात्म

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White इंसान ने सब कुछ दांव पर लगाया,
सांसों की मोहलत खरीदने के लिए
।।।।।।।।।

अफसोस,,
समय का सबसे छोटा हिस्सा भी न मिला,
एक कतरा सांस के लिए
।।।।।।🥹।।।।।।।

सारी किताबें लिखी पड़ी है
अमर होने का वरदान मांगने वालों से
।
पता नहीं,
अब उनकी धूल हवा में होगी भी या नहीं
।।।।।।।।।।।

©Ram Yadav #love_shayari  आज का विचार आज का विचार #अध्यात्म

deepmala kumari

Jatin

आज का विचार आज का विचार

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omni Tv

पति पत्नी का हिसाब किताब करने का तरीका

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Anand Kumar Ashodhiya

#Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

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निर्भया - नई हरयाणवी रागणी 

वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं 
करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं 

मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया 
मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या  गया 
मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया 
बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया 
इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं 

दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै 
लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै 
कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै 
घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै 
लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं

बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे
सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे 
हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे  
पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे  
आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं 

हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै 
औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै 
सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै 
तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै 
गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी  हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

का

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का  कुणावर प्रेम कराव ?  का  कुणासाठी झुरायच ,का कुणासाठी मरायच, देवाने आई बाबा दिले आहे त्यांच्यासाठी सगळं करायच..

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे का

thakur Pintu Singh

का

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