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Stories related to "गूलाम हूं अपने घर के संस्कारों का वरना मै भी लोगों को उनकी औकात दिखाने का

M.K Meet

#मै बड़ी उलझन में हूं!

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White  मैं मुहब्बत हूं या जरूरत 
पता नहीं!!
*************
कभी उसको हमसे बात करने की बेचैनी हूआ करती थी
कभी वह हमसे बात करने को पागल रहा करती थी
कभी बह हमसे बात करने के लिए तड़पा करती थी 
क्योंकि..........................................
कभी वो हमसे बे इन्तेहा मुहब्बत किया करती थी  !!!!!
और अब.........................................
उसने कहीं और बात करना शुरू कर दिया है
उसकी बेचैनियां कहीं और है 
उसकी तडप कहीं और है 
वो पागल होने लगी है किसी और के लिए 
उससे बात करने के लिए मुझे इग्नोर करने लगी हैं!
क्योंकि मैं..
अब उसकी मुहब्बत नहीं ,सिर्फ जरूरत बन‌के रह गया हूं!
मैं मुहब्बत हूं या जरूरत 
पता नहीं 
दिल अभी भी मुहब्बत कहता है 
और दिमाग अब जरूरत समझता है 
और मैं उलझन में हूं 
😂😂😂
??







.

©M.K Meet #मै बड़ी उलझन में हूं!

Dr. H(s)uman , Homoeopath

#औकात

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औकात से बाहर के सपने देख लिया था मैंने 
बस इतनी सी ग़लती थी मेरी

©Dr. H(s)uman , Homoeopath #औकात

Ravendra

साहब उनकी भी सुनिए

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ਸੀਰਿਯਸ jatt

very good 👍🏻 कोई बहस मत करो औरत से बेवफ़ाओं को उनकी औकात दिखाओ!

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Shivu ki Poetry

औकात

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Anuradha T Gautam 6280

मै #अकेले रहने से कभी नहीं #थकती मै थकती हूं #लोगों के बीच #झूठा_मुस्कुराते_हुए..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 😄Fake_smile😊

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Saddam

मैं भी इंसान हूं

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रोते रोते कब तक मुस्कुराऊंगी 
कब में रातों में सुरक्षित रास्तों पर चल पाऊंगी।
कब अपने हक के लिए अपने घर में बोल पाऊंगी। मैं भी इंसान हूं 
कब तक दुनिया को समझा पाऊंगी।

©Saddam मैं भी इंसान हूं

बेजुबान शायर shivkumar

कविता कोश हिंदी कविता कविताएं #SAD #SAD Sethi Ji Anshu writer Aman Singh poonam atrey puja udeshi कविता कोश कविताएं कविता कोश कविताएं

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में अपने " #लफ़्ज़ " बहुत ही कम ही लिखता हूं !!
पर पूरी " #ज़िंदगी " के सारे ग़म को भी लिखता हूं !!

मेरी " #शायरी " को पड़ने वाले भी यु तड़प उठे !!
में हंस कर ऐसे " #ज़ख़म " को भी लिखता हूं !!

" परवाह " नहीं मुझे किसी के ये ,, बेफिजुल ,, आंसुओं की !!
जब भी लिखता हूं " बेरहम " भी लिखता हूं !!

मुझे तुम्हारी ये बद " दुआ " ही ,  क्या मुझे ये मारेगी !!
में तोड़ी हुई वो हज़ार " #कसम " भी  लिखता हूं !!

©बेजुबान शायर shivkumar  कविता कोश हिंदी कविता कविताएं
#SAD #sad  Sethi Ji  Anshu writer  Aman Singh  poonam atrey  puja udeshi  कविता कोश कविताएं कविता कोश कविताएं

Rameshkumar Mehra Mehra

# चक्कर प्रेम का अमृत,क़यामत तक जीना चाहता,हूं,ए आसमान लगातार बरस मै,सनम के पैर धोकर पीना;चाहता हूं....

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White चखकर प्रेम का अमृत.............
कयामत तक जीना चाहता..!
हूं...
ए आसंमा लगातार बरस मै....!!
सनम के पैर धोकर पीना...!!!
चाहता हूं....

©Rameshkumar Mehra Mehra # चक्कर प्रेम का अमृत,क़यामत तक जीना चाहता,हूं,ए आसमान लगातार बरस मै,सनम के पैर धोकर पीना;चाहता हूं....

Vandana Rana

माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं।

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