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बेजुबान शायर shivkumar
White महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि सेवक और मित्र के नाते जिस जनता की हम सेवा करना चाहते हैं उससे कभी अलग न पड़ जायें। हमें त्याग, भक्ति और नम्रता की मूर्ति बना ताकि देश को हम ज़्यादा समझें और ज़्यादा चाहें। ©बेजुबान शायर shivkumar #gandhi_jayanti महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के #सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि
#gandhi_jayanti महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के #सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि #मित्र #MahatmaGandhi #सेवक #भक्ति #त्याग #gandhijayanti #मोटिवेशनल
read moreBhavana kmishra
White ......कोई नही देता साथ यहां..... ...... "भावना"... कहने को रिश्ते नाते हैं.... .....जब भी बैठे शान्त अकेले,.... .....ख़ुद में ही ख़ुद को पाते हैं.... ©Bhavana kmishra #Sad_Status #nojotohindi #bhavanakmishra #......कोई नही देता साथ यहां..... ...... "भावना"... कहने को रिश्ते नाते हैं....
#Sad_Status #nojotohindi #bhavanakmishra #......कोई नही देता साथ यहां..... ...... "भावना"... कहने को रिश्ते नाते हैं.... #शायरी
read moreSarvesh kumar kashyap
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए । व्यर्थ गँवाया समय , देख बोलता तनय , सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए । छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा परिवार, मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।। 2**************************** कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना , भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं । माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह , देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं । दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है , भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं । देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम, सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो
मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।। ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते । यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते । कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती- किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।। लिए तिरंगा हाथ , बढ़े सैनिक जब आगे । बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे । ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने- सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।। मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी । देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी । बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर - यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।। अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी । आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी । तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा- क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।। जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते । जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते । मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे- ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ
मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ #कविता
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