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Sethi Ji
White 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 होंठों में बात , दिल में जज़्बात 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 होंठों में बात , दिल में जज़्बात रखता हूँ मैं अपनी आँखों में चाँद की रात रखता हूँ आज भी तड़पता हूँ तुमसे मिलने को मैं अपनी अल्फाज़ो में हमारी पहली मुलाक़ात रखता हूँ आज भी कई लोग मरते है मेरी अदाओं पर मैं अपनी जवानी में ऐसे हालात रखता हूँ लोग खो जाते तन्हा रातों में , मैं तन्हाई में अपना सुकून पाता हूँ महबूब की बेवफाई में लिखने का जूनून पाता हूँ वोह एक दम अकेले हो गए हमसे जुदा हो कर और मैं तुम्हारी लहराती हुई यादों में तारों की बारात रखता हूँ 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 ©Sethi Ji कोई मुझसे पूछे इश्क़ की खासियत मैं तुम्हारा ख्वाब लिखूं दूँ ज़रा देखो मेरी तरफ गौर से मैं तुम्हारी आँखों पर किताब लिख दूँ ।। बहुत ज़ुल्म ह
कोई मुझसे पूछे इश्क़ की खासियत मैं तुम्हारा ख्वाब लिखूं दूँ ज़रा देखो मेरी तरफ गौर से मैं तुम्हारी आँखों पर किताब लिख दूँ ।। बहुत ज़ुल्म ह #GoodMorning #लव
read moreAnuradha T Gautam 6280
🤦🏻जितना #लिखूं तुझे उतना ही #कम है तू..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🤦🏻♀️ 📚.........∀♡R...........🖊️ #शायरी #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️
read moreDev Rishi
White शीर्षक - कुछ लिखूं क्या..? मेरा भी शब्द है... कुछ लिखूं क्या घरों के गुनाह है कुछ सुनाई क्या..? रक्तों के संबंध तो नहीं है पर सहोदर है.. आंसू से लतपथ शरीर मौत के घरों में हैं कहती कि अनाथ क्यों रखना.... अपने बच्चों को भी साथ ले मरना....... पर विधाता को ये मंजूर कहां था औरों के घर में खेल ही अलग था... मारे या मारे गये, ये अतिश्योक्ती कहां था मूक-बधिर की तरह, बांधे पशुओं की तरह सहोदर को मार दिया गया रे... समाज... बताओं तुम कहां थे रे.... समाज ....??? ये आंसू कम पर नवजात के आंसू का क्या मां मां खोज रहे अबोध बालक का क्या..? चीख चीखकर कर बोलों, बताओं न रे समाज... हम तो दधिचि बन गये तुम कब बनोगे रे समाज..? मेरे भी शब्द है कुछ लिखूं क्या..... घरों के गुनाह है कुछ सुनाई क्या रे समाज....? ©Dev Rishi #love_shayari कुछ लिखूं क्या..?
#love_shayari कुछ लिखूं क्या..? #कविता
read moreDevesh Dixit
प्रेरणा आप सब को पढ़ कर और सुन कर मेरी प्रेरणा जागती है की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर ये तमन्ना जागती है फिर खो जाता हूं अक्षरों के महासागर में और डूब जाता हूं शब्दों के विचारधारा में कौन से शब्द चुनू और कौन से छोड़ूं इसी असमंजस में फंस जाता हूं फिर चुनता हूं शब्दों की माला को उसी को बुनने में लग जाता हूं जोड़ता हूं शब्दों से शब्दों को और नई रचना को जन्म देता हूं पहुंचाता हूं आप सब के बीच इसको यही विचार करता हूं पसंद आए आप सब को यही आशा करता हूं …………………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #प्रेरणा प्रेरणा आप सब को पढ़ कर और सुन कर मेरी प्रेरणा जागती है की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर ये तमन्ना जागती है फिर खो जाता हूं
#प्रेरणा प्रेरणा आप सब को पढ़ कर और सुन कर मेरी प्रेरणा जागती है की कुछ लिखूं मैं भी कागज पर ये तमन्ना जागती है फिर खो जाता हूं #Poetry #sandiprohila
read moreAnuradha T Gautam 6280
#लेखक_लेखिका ना कोई किरदार चाहिए अब और ना ही कोई रंगमंच अपनी लेखनी से एक लेखिका बन गई जो मुलाकातो में व्यक्त करोगे वही मैं लिख दूंगी एक ल #विचार #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️
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