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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} बहुत सी नेकियाँ, बहुत से अच्छे काम अपने जीवन में, अपने लिए जरूर करो, ताकि अंत समय में Pachahtana न पड़े, युही पैदा और मर जाने के लिए ये जीवन नही मिला है, ये कर्म भूमि हैं, सत्य व अच्छा कर्म जीवन को दिशाहीन होने से बचाता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} बहुत सी नेकियाँ, बहुत से अच्छे काम अपने जीवन में, अपने लिए जरूर करो, ताकि अंत समय में Pachahtana न पड़े,
#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} बहुत सी नेकियाँ, बहुत से अच्छे काम अपने जीवन में, अपने लिए जरूर करो, ताकि अंत समय में Pachahtana न पड़े,
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मातरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक साथ निभाना भाग १ विधा लेख विचारनुमा भाषा शैली हिन्दी . .
read moreअदनासा-
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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