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Stories related to उपेन्द्रनाथ अश्क के एकांकी

जय सिंह यादव

विष्णु# के चरणों# में लक्ष्मी# जी के# चरण#

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Surkh ( سرخ )

White  


 तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा,
कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा।
वो झूठे नहीं होते सुर्ख,
तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!!

©Surkh ( سرخ ) #rainy_season #शायरी #बरसात #अश्क  #Life

ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ

Poonam Ahlawat

जिंदगी के रूप

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Satish Kumar Meena

उम्मीदों के पंख

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Anjali Singhal

"थमने ही वाले थे अश्क आँखों के। फिर उभर आए जख्म यादों के।।" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक अश्क का दर्द विधा विचारनुमा भाषा शैली हिन्दी भाव वास्तविक छुपा कर रखना आसान कहां होता है जब बात

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रॉयल वाटिका

दिल के अरमान आंसुओं में बह के

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सौरभ अश्क

White फूलों ने भी
रखी होंगी उपवास
अपने सानिध्य में
आलिंगन करने के लिए
भौरों को।
की होंगी ईश्वर को याद
मांगी होंगी
छोटे समय में 
अपने साथी का प्रेम
आलिंगन होने का साथ।
मजबूर भौरा 
ढूंढता आ पहुंचा होगा
फूलों के पास
इठलाती फूल
भौरों को देख
सहम गई होगी
लाख जतन के बाद
भौरे ने जताई विश्वाश
तब फूल ने
 चुपके चुपके
सौप दी अपनी
द्रवित प्रेम परिहास
आवारा भौरा 
फूल के प्रेम को
समझ न पाया
रसास्वादन कर 
दौड़ पड़ा दूजे
फूलों के पास
वफा के घात पर
परिघात को बर्दास्त न किया
और टूट गई वो डाली से
छोड़ दी अपनी सांस

©सौरभ अश्क #flowers
#प्रेम
#प्रकृति 
#फूलों 
#सौरभ अश्क

सौरभ अश्क

#सौरभ अश्क

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White फूलों ने भी
रखी होंगी उपवास
अपने सानिध्य में
आलिंगन करने के लिए
भौरों को।
की होंगी ईश्वर को याद
मांगी होंगी
छोटे समय में 
अपने साथी का प्रेम
आलिंगन होने का साथ।
मजबूर भौरा 
ढूंढता आ पहुंचा होगा
फूलों के पास
इठलाती फूल
भौरों को देख
सहम गई होगी
लाख जतन के बाद
भौरे ने जताई विश्वाश
तब फूल ने
 चुपके चुपके
सौप दी अपनी
द्रवित प्रेम परिहास
आवारा भौरा 
फूल के प्रेम को
समझ न पाया
रसास्वादन कर 
दौड़ पड़ा दूजे
फूलों के पास
वफा के घात पर
परिघात को बर्दास्त न किया
और टूट गई वो डाली से
छोड़ दी अपनी सांस

©सौरभ अश्क 
#सौरभ अश्क
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