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Shivkumar barman
White अच्छी औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के इतिहास मे दर्ज है : अग्नि-परीक्षा के बाद भी सीता अच्छी नहीं हो पाई चीरहरण झेलने के बाद भी द्रोपदी का गुणगान नहीं हो पाया लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग लोगों को याद तक नहीं तो फिर ये अच्छी औरतें कौन हैं? क्या हर रोज़ मार खाती औरतें? या सरेआम पिटती औरतें? या चौके बर्तन में घिसती औरतें? या फिर बच्चों के पीछे भागती औरतें? कौन होती हैं आख़िर अच्छी औरतें? अंशू कुमार ©Shivkumar barman अच्छी #औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो #हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के #इतिहास मे दर्ज है : #अग्निपरीक्षा क
अच्छी #औरतें कौन होती है? जो चुप्पी साधे रहें या फिर जो #हँसते हुए तमाशबीन हो क्योंकि औरतों के #इतिहास मे दर्ज है : #अग्निपरीक्षा क
read moreAnuradha T Gautam 6280
#रेखा जो सांसों में बसा करते हैं उन्हें रेखाओं में नहीं खोजते..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ १५/१०/२४
read moreMahesh Chekhaliya
White "सत्य रेखा" I Don't Believe In... लोग क्या कहेंगे ? Because... ज़िंदगी मेरी है, लोगो की नहीं । ©Mahesh Chekhaliya #engineers_day "सत्य रेखा" I Don't Believe In... लोग क्या कहेंगे ? Because... ज़िंदगी मेरी है, लोगो की नहीं ।
#engineers_day "सत्य रेखा" I Don't Believe In... लोग क्या कहेंगे ? Because... ज़िंदगी मेरी है, लोगो की नहीं ।
read moreRomil Shrivastava
White भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे प्राण के पार लेकिन तुम्हें देखते "साथ" के युद्ध में मन पराजित हुआ याद की अब कोई राजधानी नहीं प्रेम तो जन्म से ही प्रेणय हीन है बात लेकिन कभी हमनें मानी नहीं हर नए युग तुम्हारी प्रतीक्षा रहेगी हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे प्राण के पार लेकिन तुम्हें देखते..! ©Romil Shrivastava भाग्य रेखा
भाग्य रेखा
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा । आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।। बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे । आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।। करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार। सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।। झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने । और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।। दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता । क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।। यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात । अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।। बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके । दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।। यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा । एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
read moreNitu Singh जज़्बातदिलके
White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं अभिलाषाएं उसे फसल की ओर चींखने लगा जोर जोर से निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा नीरस पुष्प ही पाया था उसने काश! झांक पाता सहस्त्रों बार किये उन वादों की ओर जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने ©Nitu Singh जज़्बातदिलके जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
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