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Neetesh kumar
White मुहब्बत, आशिकी और इबादत होती यदि मुझे तुम्हारी आंखों में उतर जाने की इजाजत होती... ©Neetesh kumar #Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
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read moreकवि प्रभात
White कहने को कुछ भी कहे, जीवन को संसार | उसको मुझसे प्यार है, मुझको उससे प्यार || ©कवि प्रभात #Sad_Status हिंदी दिवस पर कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता
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read moreNeetesh kumar
drawing by neetesh ©Neetesh kumar देशभक्ति कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता कविताएं
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read moreSinger Er Jk nigam
प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता Aaj Ka Panchang कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता
read moreHariom Shrivastava
White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े हैंं गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava #moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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read moreIG @kavi_neetesh
White जो लक्ष्मण रेखा तोड़ेगा पंचवटी में सोने का मृग, देख सिया जी हरसाई। नंदनवन में चहल मची थी, मायामृग की चतुराई। बोली राघव स्वर्ण मृग का, शिकार कर प्रभु लाओ। कनक कुटी की सजा को, स्वर्ण चर्म से सजवाओ। बोले राम प्राण प्रिए सीते, स्वर्ण मृग जग ना होते। होनी तो होकर रहती, क्यों राम लखन निर्जन सोते। मायाजाल रचा रावण ने, खुद रामचंद्र अवतारी नर। चल पड़े पीछे मृग के तब, बीत चुका था तीन प्रहर। अंधकार में असुर शक्ति, प्रबल प्रभावी हो जाती। लक्ष्मण बचाओ प्राण मेरे, पंचवटी में ध्वनि आती। जाओ लक्ष्मण प्राण प्रिय, रघुनंदन स्वामी मेरे हैं। भाई की रक्षा करना, कर्तव्य लखन अब तेरे हैं। मेरी चिंता छोड़ो लखन, स्वामी के प्राण बचाने है। मेरी आज्ञा को मानो, अब तुमको फर्ज निभाने है। ईश्वर यह कैसी माया है, रघुवर से कौन टकराएगा। जो लक्ष्मण रेखा तोड़ेगा, तत्काल भस्म हो जाएगा। ©IG @kavi_neetesh #sad_quotes हिंदी कविता कुमार विश्वास की कविता देशभक्ति कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं
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read moreध्रुव
White ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने? हाँ मृत्यु भले विराम हैं, जीवन भले संग्राम है मैं भटकता ही रहूँगा भले ही इस जहान में, हर वक़्त खुद को खो कर या हो कर विलीन मैं, शून्य में ,क्या मिल सकूँगा तुम्हारे सामने? ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने? ©ध्रुव # कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी
# कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी
read moreRitika Vijay Shrivastava
शोभा हूॅं मैं घर आंगन की, क्यों मेरा तनिक भी मोल नहीं। बार बार तुम खींच रहे जो, अटूट बंधन है कच्ची डोर नहीं। पावन सुत्र के मोती धुमिल अब, समस्त यह गांठ ही रह जाएगी। एक दिन... चिड़िया उड़ जाएगी। ©Ritika Vijay Shrivastava #swiftbird कविता हिंदी कविता हिंदी कविता कुमार विश्वास की कविता कविता कोश
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