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theABHAYSINGH_BIPIN
White अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर रखो, ओझल हो राह तो निहार करो। घबराना मत, ये छोटी सी हैं, संकल्प को हरदम याद करो। खुद के मन को टटोलो तुम, दिल से रोज़ नई बात करो। छोड़ो दुनिया की फ़िज़ूल बातें, सपनों को साकार करो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
#Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
read moreRameshkumar Mehra Mehra
खुद से बात करो................ खुद को पहचानों....! दुनियां से पहले...!! खुद की अहमियत जानों.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # खुद से बात करो,खुद को पहचानों,दुनिया से पहले,खुद की अहमियत जानो....
# खुद से बात करो,खुद को पहचानों,दुनिया से पहले,खुद की अहमियत जानो....
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
White जय माता दी 🌺🌺🌺 बस अब थोड़ा आराम करो हद से ज्यादा ना काम करो... अपनो कि फिक्र है तुम को पर थोड़ा तो खुद पर भी ध्यान धरो... 🩸 good night 🩸 ©M R Mehata(रानिसीगं ) आराम करो
आराम करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
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