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dhalta bachpan
White हम जिसे देखते हैं,उसे जी भर के देखते हैं। सामने वाले का जी भर जाए। तो हम बेवफा तो नहीं? ©dhalta bachpan #Free
SHIRSENDU KARMAKAR
BSNL making operating profit, added subscribers in last 3 months: Scindia Speaking at Express Adda, he said Bharat Sanchar Nigam Ltd (BSNL) is offering telephone services in remotest village and a network upgrade is improving its service State-owned telecom giant BSNL has added subscribers in every single month in the last quarter and its subscriber base has grown by 50-60 lakhs as it scripts a turnaround story after recording operating profit in the last two years, Communications Minister Jyotiraditya Scindia said Wednesday. Speaking at Express Adda, he said Bharat Sanchar Nigam Ltd (BSNL) is offering telephone services in remotest village and a network upgrade is improving its service. In June last year, the Union cabinet had approved an Rs 89,047 crore revival package for loss-making state-owned telecom operator deploy 4G and 5G services in a market dominated by private players. Debt-laden BSNL, grappling with poor infrastructure, had posted losses for the past 12 years. ©SHIRSENDU KARMAKAR #BSNL
कृतांत अनन्त नीरज...
White आत्मा बहुत सीधी और सरल है हमारी औऱ ह्रदय से भी अब कतई "निष्पाप" है कोई हमसे तब भी भाव खाए तो खाए वैसे भी हम तो Attitude के "बाप" है... ©कृतांत अनन्त नीरज... #Free
Pagal shayer
White मुझको मेरी मोहब्बत से ऐसा इनाम मिला!! इतना चाहने के बाद भी धोखेबाज नाम मिला!! ©Pagal shayer #Free
Fit Shayar
White क्या है ऐसा पहाड़ों के पार? पहाड़ों के पार एक दुनिया है जहां सुकून है, इंतजार नहीं जहां सब मुकम्मल, कोई डर नहीं मेरी हस्ती को मायने है वहां जहां तुम हो मेरे साथ और कोई नहीं ©Fit Shayar #Free
Tarique Usmani
White घर क्यों नेमत है? उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में कोई महफूज़ ठिकाना न मिला घर क्यों आबाद हैं? उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं घर क्यों ज़रूरत हैं ? उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। जिन के लब पे कोई सवाल नहीं घर क्यों जन्नत हैं? बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ। ©Tarique Usmani #Free
Jairam Dhongade
White पाहतो पिरपिरी तर कधी ढगफुटी पाहतो... चिंब ओली उभी मी कुटी पाहतो! राजकारण तशी रोज धोकाधडी... माणसांचीच फाटाफुटी पाहतो! संकटाला कुणी सोबतीला नसे... नेहमी माणसे पळपुटी पाहतो! ना करत जो भले कोणते काम तो.. त्यास मी मारतांना खुटी पाहतो! रोग फैलावला कोणता हा नवा... एक बटव्यात नामी बुटी पाहतो! जयराम धोंगडे, नांदेड ©Jairam Dhongade #Free