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YOGESH SHARMA
White मुस्कुराहट गुलाम है उस चेहरे कि उसे रोना भी नहीं आता हर रंग है कुदरत का उसके पास उसे सजोना भी नहीं आता खूबसूरती कि सारी हदे, सारे अल्फाज़ फीके है उसकी तारीफ मे कम्बखत उसे तो खूबसूरत होना भी नहीं आता ©YOGESH SHARMA #love_shayari बृजेश कुमार बेबाक़
#love_shayari बृजेश कुमार बेबाक़
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
White "जिंदगी संघर्ष है रास्ते टेढ़े मेढ़े ऊंचें नीचें सफ़र में आएंगे ही मगर घबराना क्या ठोकर मारकर चुनौतियों को मंजिल पर पहुंचना ही तो मनुष्य की महानता है।" "चाहे रैंगकर चले मगर अपने बल पर चले इसी का नाम आजाद हिम्मत है।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #sad_quotes #आजाद हिम्मत#
#sad_quotes #आजाद हिम्मत#
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
*पुष्पासन पर विराजे मां सिद्धिदात्री सुरभित सुगंधित घर आंगन करती सुख समृद्धि से जीवन संवारती सर्व समर्पण भाव से करें पूजा तन मन से गावे मां की आरती।" "आप सभी को नवें नवरात्र की आजाद हार्दिक शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri #आजाद शुभकामनाएं#
Azaad Pooran Singh Rajawat
"सबसे प्यारी मां जगदंबा हमारी कामधेनु की करती है सवारी मेवा मिष्ठान मां को भाते भक्त भी होते हैं शुद्ध शाकाहारी।" "आप सभी को दुर्गा अष्टमी की आजाद हार्दिक शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri आजाद शुभकामनाएं
#navratri आजाद शुभकामनाएं
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
"शेर की है सवारी पुष्प है हाथों में निगाहों में है स्नेह मां स्कंदमाता हमारी अधर्म के लिए शक्ति देती है धर्म के लिए शांति देती है सिंह की है सवारी।" "पांचवें नवरात्रि की सभी को आजाद शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri आजाद शुभकामनाएं
#navratri आजाद शुभकामनाएं
read moreअभियंता प्रिंस कुमार
White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार #@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #goodnight
#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight
read moreArpit Mishra
चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
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