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AK Srivastava
मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर मानो या न मानो पर ये सच है गैनोडर्मा की चाय पीने से बीमारी दूर हो ती है 🤔🤔🤔
read morenisha Kharatshinde
White संसारी ती नार जळतो उरी विस्तव झेलून रोज वार पेटून शांत होते संसारी ती नार नात्यात श्र्वास भरण्या ती मोगरा फुलविते ओवून फूल एक एक ती अंगणी सजविते त्या श्र्वासास छेडण्यास होई मोगरा अतूर हुंदक्यात रात्र दाटे का मोगरा मजबूर? ती पणती होऊन जळते अन् आस तेवते उरी या पंखास बळ देण्या रोज स्वप्नी येई परी ✍️निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde संसारी ती नार
संसारी ती नार #Poetry
read moreAnjali Singhal
"दिल पर लिखा है मैंने जबसे तेरा नाम, भंवरों ने भेजा है फूलों को पैगाम; नजारों ने बिखेरी है रंगों की ये शाम, सितारे भी मदहोश हैं पीकर के ये ज #Poetry #ViralVideo #EXPLORE #AnjaliSinghal
read moreNirankar Trivedi
White सावन का महीना, हरियाली का रंग, बूँदों की रिमझिम और खुशियों का संग। ©Nirankar Trivedi सावन का महीना, हरियाली का रंग, बूँदों की रिमझिम और खुशियों का संग। #sawan_2024
सावन का महीना, हरियाली का रंग, बूँदों की रिमझिम और खुशियों का संग। #sawan_2024
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।। छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले । छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।। नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान । दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान । कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी । सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।। रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले । छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप
कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।
त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। #कविता
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