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nisha Kharatshinde

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cldeewana

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप #कविता

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कुण्डलिया :-
नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम ।
बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।।
बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा ।
होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।।
छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले ।
छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।।

नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान ।
दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान ।
कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी ।
सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।।
रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले ।
छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-
नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम ।
बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।।
बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा ।
होगा जब संताप

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। #कविता

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White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR त्रिपदा छन्द


वट पीपल की छाँव ।

मिलती अपने गाँव ।

एक वही है ठाँव ।।
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