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Stories related to रघुनाथ गुर्जर

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

यह राजकोट की घटना है, डीडवाना के पास रान गांव का आदमी है गुर्जर है, लोखन का होल सेल व्यपारी है! ऐसे कोई भी बाबा आये तो उनको दुक्क़न में प्र

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।

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उल्लाला छन्द :-
छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो ।
तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।।
मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।।

जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है ।
याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।।
अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है ।
ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उल्लाला छन्द :-

छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो ।
तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।।
मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।

PURAN SING‌H CHILWAL

#80sloveलव शायरी हिंदी में🥀❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 🥀🥀कितनी भी पाल गुर्जर लो 🥀 🥀🥀तेरी बाहों में हर सांस 🥀🥀 🥀🥀यही कहती है 🥀🥀🥀🥀 🥀🥀क

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SKgujjarchauhan

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध

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विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।।
भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा ।
कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।।

राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप ।
मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।।
जीवन के संताप , हरे सब राधा माई ।
यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।।
सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा ।
उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।।

राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ ।
सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।।
खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर ।
आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।।
उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा ।
सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याध
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