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theABHAYSINGH_BIPIN
White अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर रखो, ओझल हो राह तो निहार करो। घबराना मत, ये छोटी सी हैं, संकल्प को हरदम याद करो। खुद के मन को टटोलो तुम, दिल से रोज़ नई बात करो। छोड़ो दुनिया की फ़िज़ूल बातें, सपनों को साकार करो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
#Sad_Status अपने सपनों पर विश्वास करो, इस जग में अपना नाम करो। लक्ष्य से अपने भटकना नहीं, हर पल मंज़िल का ध्यान करो। मुश्किलें खुद से दूर र
read moreHimanshu Prajapati
White छोड़ो दुनियां की यारी, इसमें है बस मतलब और गद्दारी, चुप रहो गौर से देखो रखो मन हल्का, करो काम भारी..! ©Himanshu Prajapati #car छोड़ो दुनियां की यारी, इसमें है बस मतलब और गद्दारी, चुप रहो गौर से देखो रखो मन हल्का, करो काम भारी..! #36gyan #hpstrange
#car छोड़ो दुनियां की यारी, इसमें है बस मतलब और गद्दारी, चुप रहो गौर से देखो रखो मन हल्का, करो काम भारी..! #36gyan #hpstrange
read moreSunita Pathania
neelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं थोड़ा अच्छा या काफी बुरा लिखूं !!🕊️ मैं कहानी हूं पूरी या किस्सा अधूरा लिखूं ✨ मैं कौन हूं मैं खुद को क्या लिखूं !!🕊️ अपनी उम्र से तजुर्बों में बढ़ा लिखूं ✨ या उम्मीदों की लाशों पर चला लिखूं!!🕊️ ना समझेगा कोई भला मैं क्या लिखूं✨ लोग समझते हैं सुलझा हुआ तो खुद को क्या उलझा हुआ लिखूं !!🕊️ हम अपने बारे में और जानते ही नहीं ✨ चलो छोड़ो भी आज खुद को सरफिरा लिखूं !!✨❣️ ©बेजुबान शायर shivkumar Sethi Ji Kshitija poonam atrey angel rai puja udeshi कविता कविताएं हिंदी कविता कविता कोश मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं
Sethi Ji Kshitija poonam atrey angel rai puja udeshi कविता कविताएं हिंदी कविता कविता कोश मैं अपने बारे में लिखूं भी तो क्या लिखूं
read moreSanjeev Khandal
White अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है; न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है। इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ, जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।। ©Sanjeev Khandal #Mahabharat