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chahat
White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat मुस्करा देती हूं
मुस्करा देती हूं
read moreSatish Kumar Meena
मैं कसम खाती हूठकी मैं कसम खाती हूं कि मैं आपके अकेलेपन में साथी, दुःख में हमसफर और महत्वपूर्ण समय में जब आपको मेरी जरूरत हो तो जीवनसाथी बनके अपने कर्तव्य को पूरा करूंगी। ©Satish Kumar Meena मैं कसम खाती हूं
मैं कसम खाती हूं
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
White "हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है प्रशंसकों की प्रशंसा से कहीं अधिक खुदा कसम आलोचकों की आलोचना अच्छी लगती है सफलता के शिखर पर चढ़ने का असली रास्ता आलोचकों की आलोचना ही सिखलाती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है सुकून मिलता है, असीम शांति मिलती है श्वासों में सुगंध सुमित्रों की घुलती है दिल में ख्वाबों खयालों की सरिता बहती है फिर क्या सृजन को कल्पनाओं की आजाद कलम चल पड़ती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है।" सभी प्रशंसकों व आलोचकों को आजाद सलाम। ©Azaad Pooran Singh Rajawat #Sad_Status #तनहाई भी अच्छी लगती है#
#Sad_Status #तनहाई भी अच्छी लगती है#
read moreमिहिर
White जब कभी कुछ कह नहीं पाता उसे लिख देता हूं जब बेचैनियां बातों से आंखों से बह नही जाता जो रह जाता है उसे लिख देता हूं भागती दुनिया में कभी लगता है पहाड़ या पेड़ हो गया हूं अपनी जड़ता लिख देता हूं या फिर कभी लगता है नदी या हवा सा बह रहा हूं तो उस बहाव को लिख देता हू जब अंदर और बाहर सिर्फ खामोशी हो तो उस खामोशी के शून्य को लिख देता हूं जब खोने पाने की बीच कही उलझा होता हूं तो उलझन को कही लिख देता हूं खुद से खुद को समझता रहूं समझाता रहूं इसलिए सब कुछ लिख देता हूं ।। ©मिहिर लिख देता हूं
लिख देता हूं
read moreSaddam
रोते रोते कब तक मुस्कुराऊंगी कब में रातों में सुरक्षित रास्तों पर चल पाऊंगी। कब अपने हक के लिए अपने घर में बोल पाऊंगी। मैं भी इंसान हूं कब तक दुनिया को समझा पाऊंगी। ©Saddam मैं भी इंसान हूं
मैं भी इंसान हूं
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी इतिहास नेपथ्थ में चले गये यशोगाथा पूर्वजो की धूमिल होती है ज्ञान ध्यान तप की अवधारणा गूगल व्हाट्सप के सामने ओछी लगती है सब ज्ञानी गूगल बाबा से शास्त्रों की प्रमाणिकता थोथी लगती है दुख संवेदना का नही कोई आधार धरातल पर मानवीयता सिसकती है धद्धम युद्धों के द्वारा गरीबी विश्व मे पसरती है हिंसा की करतूतों से अर्थव्यवस्था दम अपना तोड़ती है अज्ञान की कसौटी पर कसकर मानवता को मौत के मुँह में धकेलती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #hindi_diwas शास्त्रों की भाषा थोथी लगती है #nojotohindi
#hindi_diwas शास्त्रों की भाषा थोथी लगती है #nojotohindi
read moreSK Naim Ali
White मेरी जिंदगी बस जिंदगी है इसमें मैं कहा हूं, येजो में अपनी बात करता हूं इसमें मैं कहां हूं, मैं कोन हूं मैं कहा हूं ,बस अगर मैं हूं तो सुकून से जीना चाहता हूं। ©SK Naim Ali मैं कोन हूं मैं कहां हूं।#love_shayari #Sknaimali 'दर्द भरी शायरी'
मैं कोन हूं मैं कहां हूं।#love_shayari #sknaimali 'दर्द भरी शायरी'
read moreHeer
White नारी हूं मैं...... जननी मैं, जीवन भी मैं, करूणा का सागर भी मैं, माना जज्बातों पर जोर नहीं, मगर सशक्त हूं तलवार हूं मैं। हा नारी हूं मैं कमज़ोर नहीं मैं। दर्पण मैं और अक्स भी मैं, झुक जाऊं ऐसी डाल नहीं मैं, स्वाभिमान मुझे है प्यारा, आंखो का हूं में तारा। ऐसा कोई शख्स नहीं, जो टूट कर बिखर जाऊं मैं। हा नारी हूं मै आत्मनिर्भर भी हूं मैं। समझना ना मुझको अधूरी, मैं तो हूं खुद में पूरी, साथ अगर जो चलना हो तो, हाथ तभी तुम थामना, पीछे हटना मुझे नहीं गवारा, एक बार पकड़ा हाथ जो। हा नारी हूं मैं अकेली नहीं। ©Heer #women_equality_day #नारी हूं मैं
#women_equality_day #नारी हूं मैं
read moreAnuradha T Gautam 6280
कैसी दिखती हूं कैसी लगती हूं मुझे फर्क नहीं पड़ता मैं किसी को अच्छी लगू ये अब #मुझे_खुद_भी_अच्छा_नहीं_लगता..🖊️ अनु_अंजुर
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