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Vandana Rana
White वो जो कहता नहीं कभी कि तेरी मुस्कुराहट सबसे प्यारी है, वो जो कहता नहीं कि तेरी बातें किसी सुरीले गीत से भी न्यारी है, वो जो कहता नहीं कि तेरी आँखें झील जैसी गहरी है, वो जिसे मेरे साथ होकर एक छोटे बच्चे की तरह प्यार करने को दिल नहीं चाहता, उसे इश्क़ है मेरी सादगी से तू झूठा है मेरा दिल मुझे यही है बताता! ©Vandana Rana वो जो कहता नहीं कभी कि तेरी मुस्कुराहट सबसे प्यारी है, वो जो कहता नहीं कि तेरी बातें किसी सुरीले गीत से भी न्यारी है, वो जो कहता नहीं कि त
वो जो कहता नहीं कभी कि तेरी मुस्कुराहट सबसे प्यारी है, वो जो कहता नहीं कि तेरी बातें किसी सुरीले गीत से भी न्यारी है, वो जो कहता नहीं कि त
read moreHimachal MC
सावन का महीना (Hindi movie song) | Milan - 1967 | Sunil Dutt , Nutan | Mukesh , Lata | Laxmikant , Pyarelal | #na #moviesongs #Hindi
read moreParasram Arora
White प्रेम की झील मे जो प्रेमी उतर चुके वे कभी डूबने से डरते नही ऐसे प्रेमियों को झील के उस पार पहुंचाने मे ईश्वर भी उनके मददगार बन जाते है ©Parasram Arora प्रेम की झील
प्रेम की झील
read moreAnkur
White मोहब्बत बरसा देना तू; सावन आया है! हालांकि सावन अब चला गया है, पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए। सजने को सजनी बेकरार रहनी चाहिए, दिलाें में प्रेम की फुहार रहनी चाहिए। वर्षा की बूंदों की बौछार रहनी चाहिए, कजरी लोकगीतों की मल्हार रहनी चाहिए। अम्बवा की डाली गुलज़ार रहनी चाहिए, तीज और त्योहार की बहार रहनी चाहिए। शिवालयों में भक्तों की कतार रहनी चाहिए, खुशियां जीवन का आधार रहनी चाहिए.. ©Ankur हालांकि सावन अब चला गया है पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए! #GoodNight #SaawanAaya #mohabbat #positive #poem Hinduism
हालांकि सावन अब चला गया है पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए! #GoodNight #SaawanAaya #mohabbat #positive #poem Hinduism
read moreAshish Singh
अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #रक्षाबंधन #सावन #शिवजी
arvind bhanwra ambala. India
कंहा गया वो सावन। पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला अकेले ही झूला, झूला हमने न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। आज डर है, मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, क्या झूलूं, कंहा झूलू अब, कौन से सावन मे, अब, हर नज़र ललचाई, हर मन, हवस समाई, मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है हवस मिटाने का मकान मानता है ©arvind bhanwra ambala. India कंहा गया वो सावन
कंहा गया वो सावन
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