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Stories related to सावन में लग गई आग

Nilam Agarwalla

#आग

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White 
ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह।
पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।।

ले जाए जाने  कहां, ये नफरत की आग।
जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।।

घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग।
कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।।

 -निलम

©Nilam Agarwalla #आग

neelu

White ऐसा लग तो रहा है 
शायद तारों की गिनती पूरी हो गई है

©neelu #Couple #ऐसा #लग तो #रहा है #शायद #तारों की #गिनती #पूरी #हो #गई है

Shudanshu Kumar

तेरी लत लग गई। #Shorts

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आग

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आग

उठती लपटें धुआँ उगलती
जब जलती है आग
कोई देखकर घेरे उसको
कोई रहा है भाग

किसी को जीवन दान करे यह
किसी को देती कष्ट
तपकर कोई स्वर्ण कहलाता
कोई होता है नस्ट

धधक रही हो अगर हृदय में
बनकर के यह ज्वाला
खतरोंसे है मनुज  खेलता
बन जाता मतवाला

यही सृजन की जननी बेखुद
यही मार्ग विध्वंशक
पंच तत्व में शामिल है यह
सभी झुकाएँ मस्तक

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आग

Ravendra

बहराइच में मनाई गई गांधी जयंती

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s bhardwaj

#हाँ में बदल गई हुँ

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White हां मैं बदल गई हूं
 औरो की बातों को अब में दिल से लगाती नहीं
 जो गैर है उनकी बातों से अब दिल  को दुखाती नहीं
 हां मैं बदल गई हूं
 किसी और की जज्बातों को ठेस पहुंचाती नहीं
 अपनों की बातों में भी अब मैं आती नहीं
 जिसको मान लूँ अपना उससे दूर जाती नहीं
 जो करते हैं अपने होने का दिखावा उनको पास लाती नहीं
 हां मैं बदल गई हूं
 यू इधर-उधर की बातों में वक्त अपना गवाती नहीं
 वास्ता ही उनसे रखती हूं जो दिल में उतरते है 
जिसको दिल से उतार दू उनसे वास्ता रखती नहीं
 हां मैं बदल गई हूं 
मुझे लोगो की भीड़ अब पसंद नहीं 
मुझे अब अकेले रहना ही बेहद पसंद है

©Bindass writer #हाँ में बदल गई हुँ

डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

#लगी है आग सीने में...

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MoHiTRoCk F44

मेरी रातों की नींद तेरे खुआव में लग गई और तेरे धोखो के हिसाब में लग गई जब जब मुझको तेरी यादों ने घेरा सारी की सारी कमाई मेरी शराब में ल

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Suresh Kumar

ना जाने किसकि नजर लग गई पियार तो किया रासता नही मिला

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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #रक्षाबंधन #सावन #शिवजी
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