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Jayesh gulati
मैंने कभी लिखा था ख्वाब एक किताब में, तुम्हे देखा तो जाना ख्वाब पूरे भी होते है ।। ©Jayesh gulati #Books
कृतांत अनन्त नीरज...
White आत्मा बहुत सीधी और सरल है हमारी औऱ ह्रदय से भी अब कतई "निष्पाप" है कोई हमसे तब भी भाव खाए तो खाए वैसे भी हम तो Attitude के "बाप" है... ©कृतांत अनन्त नीरज... #Free
Writer Ravi
उलझनो को सुलझा देती हैं किताबें भटके को मार्ग दिखाती हैं किताबें बदतर से बेहतर बनाती है किताबें तू किताबों को दोस्त बना तो सही मंजिल तक आसानी से पहुंचती हैं किताबें । ©Writer Ravi #Books
Pagal shayer
White मुझको मेरी मोहब्बत से ऐसा इनाम मिला!! इतना चाहने के बाद भी धोखेबाज नाम मिला!! ©Pagal shayer #Free
कृतांत अनन्त नीरज...
आकर्षण आपको सिर्फ आकर्षित कर सकता है नष्ट नही नष्ट तो आप तब होते है जब आप आकर्षण की ताकत को अपने "आत्म अनुशासन" की शक्ति से अधिक समझ लेते है... ©कृतांत अनन्त नीरज... #Books
Fit Shayar
White क्या है ऐसा पहाड़ों के पार? पहाड़ों के पार एक दुनिया है जहां सुकून है, इंतजार नहीं जहां सब मुकम्मल, कोई डर नहीं मेरी हस्ती को मायने है वहां जहां तुम हो मेरे साथ और कोई नहीं ©Fit Shayar #Free
Heer
किताबें बड़ी हसरत लिए बंद अलमारी के शीशों से झांकती किताबें, सोचती होगी पहले जिनसे रोज़ होती थी बातें, अब तो महीनों होती नही मुलाक़ातें। जो रातें गुजरती थी अक्सर साथ में, आज वो कटती है computer के साथ में, देख बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें क्योंकि, उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है। जो किस्से कहानियां वो सुनाती थीं, battery जिनकी कभी न खत्म होती थी, वो झलक अब नजर कही आती नही, रिश्ते रह गए उजड़े उजड़े, घर हो गया अब खाली खाली। जुबां पर ज़ायका आता था जो एक अल्फाज़ निकलता था, अब उँगली click करने से बस एक झपकी गुज़रती है, बहुत कुछ तबाह हो गया और बचा है वो परदे पर खुलता चला जाता है। किताबों से जो काटी जाती थी राते सीने से लिपटे हुए गुजरते थी जो रातें, कभी गोदी में तो कभी घुटनों के बल बैठ पढ़ते थे, कभी अजीब सी सूरत बनाकर मुस्कुराया करते थे, सजदे में कभी छूते थे जबीं से, जाने कहा को गया वो सुकून Robot के इस जहान में। ©Heer #Books
daisykavi
எம் நூலகபணிக்கு நன்றி. எதிர்மறையான சில மனித மனங்களுக்கு மத்தியில் இல்லாமல், நேர்மறையான நூலக வாசனையில் பயணிப்பது ஒரு சிலாக்கியம்தான் ©daisykavi #Books
daisykavi
எம் நூலகபணிக்கு நன்றி. எதிர்மறையான சில மனித மனங்களுக்கு மத்தியில் இல்லாமல், நேர்மறையான நூலக வாசனையில் பயணிப்பது ஒரு சிலாக்கியம்தான் ©daisykavi #Books
Jairam Dhongade
White पाहतो पिरपिरी तर कधी ढगफुटी पाहतो... चिंब ओली उभी मी कुटी पाहतो! राजकारण तशी रोज धोकाधडी... माणसांचीच फाटाफुटी पाहतो! संकटाला कुणी सोबतीला नसे... नेहमी माणसे पळपुटी पाहतो! ना करत जो भले कोणते काम तो.. त्यास मी मारतांना खुटी पाहतो! रोग फैलावला कोणता हा नवा... एक बटव्यात नामी बुटी पाहतो! जयराम धोंगडे, नांदेड ©Jairam Dhongade #Free