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Stories related to गौ का अर्थ

Kalpana Tomar

मैं शब्द तुम अर्थ #nojohindi #nojolife #nojolove #nojoto_poetry

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तुम शब्द हो, मैं अर्थ हूं,
अन्यथा मैं व्यर्थ हूं।

तुम जो सिद्ध कर चुके,
मैं वो अकाट्य तर्क हूं।

तुम सजग रहे सदा,
ये देख मैं सतर्क हूं।

तुम ठान लो, जो कर सको,
मैं भी अभी समर्थ हूं।

जो मुझे आदेश दो,
उस हेतु ही तदर्थ हूं।

अगर तुमने छल किया,
तो मैं महा अनर्थ हूं।

©Kalpana Tomar मैं शब्द तुम अर्थ
#nojohindi
#nojolife 
#nojolove 
#nojoto_poetry

Bk Anjana

#sitarmusic दीपावली का आध्यात्मिक अर्थ 🎊🎉 नये अच्छे विचार

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Drjagriti

#अर्थ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

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White सब कुछ व्यर्थ है फिर
 भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है।

©Drjagriti #अर्थ  मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

नीतू सिंह

गौ माता धर्म कर्मभक्ति

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Srinivas

नेतृत्व का असली अर्थ है जब बिना नाम, बिना पद के भी जनता की भलाई की जाए।

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नेतृत्व का असली अर्थ है जब बिना नाम, बिना पद के भी जनता की भलाई की जाए।

©Srinivas नेतृत्व का असली अर्थ है जब बिना नाम, बिना पद के भी जनता की भलाई की जाए।

Saba Rasheed

अर्थ के अनर्थ होने के बाद
क्या रह जाता है...
सार्थक होने को.....

©Saba Rasheed #अर्थ #अनर्थ #सार्थक #hindiquote #nojoto #nojotohindi #nojotoquote life quotes quotes

ANATH SHAYAR

भरोसा का अर्थ है मां #follow #motivationकीआग #Motivational #Youtubeshorts #Youtube #youtubeShort

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बादल सिंह 'कलमगार'

हिंदी का अर्थ हो तुम... #badalsinghkalamgar Poetry #Hindi प्रेम कविता Arshad Siddiqui Neel Ritu Tyagi Beena Kumari Shiv Naraya

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Lõkêsh

नजर , शब्द एक अर्थ अनेक 😂

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नजारे , नजरो के सामने कई नजर आते है , कमबख्त नजर बस तेरी नजर को तरस जाती है । ऐसी लगी नजर जमाने की , तेरी याद तो आती है , लेकिन तू नजर नहीं आती है ।

©Lõkêsh नजर , शब्द एक अर्थ अनेक 😂

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख

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कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।।
आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता ।
समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सख
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