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Stories related to थांबलेलं जग कसं वाटतंय निबंध

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Ankit Singh

सब रूठा तो जग रूठा 👈👈👈👈🤘🤟🤘🤟❤❤❤ #लव

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GoluBabu

जिस-जिस को जग हंसा। उस-उस इतिहास रचा।। #Spreadlove #waiting #Bhakti

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Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi #कविता

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White पल्लव की डायरी
सब जीवों पर करुणा दया ही
जीवन की सारभौमिक्ता है
शाकाहार पनपे जग में
निरीह और मूक प्राणी को
मांसाहारीयो से बचाना है
नामीबिया के सूखे का संकट
घोषणा पशुओं के कत्ल की सरकारी है
जैन समाज की पहल,मदद वहाँ पहुँचती है
वहाँ की सरकार अपना आदेश वापस करती है
उठ खड़े हो जाये सारे समाज और धर्म
माँसाहार बंद कर,पशुओं पक्षियों के
प्राणों की रक्षा हो सकती है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये
#nojotohindi

ब्रJESH Chanद्रा

स्वार्थ भरा यह जग सारा Anshu writer Mysterious Girl sing with gayatri ℘ґѦℊѦ†ї Internet Jockey #Quotes

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दुनिया में अजनबी बनकर जिओ 
ऐसे भी अपना स्वार्थ के बिना कहां जीता

©ब्रJESH Chanद्रा स्वार्थ भरा यह जग सारा 
 Anshu writer  Mysterious Girl  sing with gayatri  ℘ґѦℊѦ†ї  Internet Jockey

Ashraf Fani

दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status #शायरी

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deepmala kumari

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष #कविता

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष

प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

कसं रे बा विठ्ठला #Quotes

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Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima सच्चे गुरुओ के अभाव में ,सारे जग में आवारापन दिखता है #nojotohindi #कविता

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Praveen Jain "पल्लव"

#guru_purnima उनके के प्रताप से ही जग में अहिँसा और करुणा के फूल खिलते है #nojotohindi #कविता

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