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chahat
White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat मुस्करा देती हूं
मुस्करा देती हूं
read moreprem shanker noorpuriya
White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya गुल हूं गुलशन का
गुल हूं गुलशन का
read moreSatish Kumar Meena
मैं कसम खाती हूठकी मैं कसम खाती हूं कि मैं आपके अकेलेपन में साथी, दुःख में हमसफर और महत्वपूर्ण समय में जब आपको मेरी जरूरत हो तो जीवनसाथी बनके अपने कर्तव्य को पूरा करूंगी। ©Satish Kumar Meena मैं कसम खाती हूं
मैं कसम खाती हूं
read morePoetry-Meri Diary Se
White अकेला हूं मैं... इस भीड़ में भी अकेला तन्हा हूं मैं, मालूम नहीं मगर क्यों अपनों की महफिल अब अच्छी नहीं लगती! चेहरे तो सभी अपने हैँ और मुस्कुराता हुआ, मगर उन चेहरे के पीछे कोई अनजान छुपा हैँ! जब तक जेबे भड़ी थी तब तक, अपनों का डेरा खूब लगा हुआ था! आज जेब जिस तरह से गायब हुई, मालूम नहीं सब कहां ख़ो गए! Written By-ABi Aman. ©Poetry-Meri Diary Se #good_night अकेला हूं मैं@#
#good_night अकेला हूं मैं@#
read moreमिहिर
White जब कभी कुछ कह नहीं पाता उसे लिख देता हूं जब बेचैनियां बातों से आंखों से बह नही जाता जो रह जाता है उसे लिख देता हूं भागती दुनिया में कभी लगता है पहाड़ या पेड़ हो गया हूं अपनी जड़ता लिख देता हूं या फिर कभी लगता है नदी या हवा सा बह रहा हूं तो उस बहाव को लिख देता हू जब अंदर और बाहर सिर्फ खामोशी हो तो उस खामोशी के शून्य को लिख देता हूं जब खोने पाने की बीच कही उलझा होता हूं तो उलझन को कही लिख देता हूं खुद से खुद को समझता रहूं समझाता रहूं इसलिए सब कुछ लिख देता हूं ।। ©मिहिर लिख देता हूं
लिख देता हूं
read moreSaddam
रोते रोते कब तक मुस्कुराऊंगी कब में रातों में सुरक्षित रास्तों पर चल पाऊंगी। कब अपने हक के लिए अपने घर में बोल पाऊंगी। मैं भी इंसान हूं कब तक दुनिया को समझा पाऊंगी। ©Saddam मैं भी इंसान हूं
मैं भी इंसान हूं
read moreSK Naim Ali
White मेरी जिंदगी बस जिंदगी है इसमें मैं कहा हूं, येजो में अपनी बात करता हूं इसमें मैं कहां हूं, मैं कोन हूं मैं कहा हूं ,बस अगर मैं हूं तो सुकून से जीना चाहता हूं। ©SK Naim Ali मैं कोन हूं मैं कहां हूं।#love_shayari #Sknaimali 'दर्द भरी शायरी'
मैं कोन हूं मैं कहां हूं।#love_shayari #sknaimali 'दर्द भरी शायरी'
read moreHari Creations official
अब कैसे लौट जाऊं बीच राह से आखिर मंजिल को भी आस होगी ... कोई राही आता तो होगा ।। _प्रेमकवि_ ©Hari Creations official #राही #हिंदी_कोट्स_शायरी #iharinyadav #banarasfilms मोटिवेशनल कोट्स
#राही #हिंदी_कोट्स_शायरी #iharinyadav #banarasfilms मोटिवेशनल कोट्स
read moreHeer
White नारी हूं मैं...... जननी मैं, जीवन भी मैं, करूणा का सागर भी मैं, माना जज्बातों पर जोर नहीं, मगर सशक्त हूं तलवार हूं मैं। हा नारी हूं मैं कमज़ोर नहीं मैं। दर्पण मैं और अक्स भी मैं, झुक जाऊं ऐसी डाल नहीं मैं, स्वाभिमान मुझे है प्यारा, आंखो का हूं में तारा। ऐसा कोई शख्स नहीं, जो टूट कर बिखर जाऊं मैं। हा नारी हूं मै आत्मनिर्भर भी हूं मैं। समझना ना मुझको अधूरी, मैं तो हूं खुद में पूरी, साथ अगर जो चलना हो तो, हाथ तभी तुम थामना, पीछे हटना मुझे नहीं गवारा, एक बार पकड़ा हाथ जो। हा नारी हूं मैं अकेली नहीं। ©Heer #women_equality_day #नारी हूं मैं
#women_equality_day #नारी हूं मैं
read moreAakash Dwivedi
White l#डर_जाता_हूं_मैं डर जाता हूं मैं छोटी छोटी खुशियों से खुश होने वाला नादां बनकर यूं सबसे खूब ठिठोले करता हूं मगर पराई बातों से और यू अपनों की तानों से बिखर जाता हूं मैं डर जाता हूं मैं।। तुलना खुद से करके किसी और की खुशियां दर्द को दवा बनाकर ऐसे निखर जाता हूं मगर दुनियां की रंगत से कुछ अनचाहे संगत से यूं ठहर जाता हूं मैं डर जाता हूं मैं।। सबकी बातें सुन लेता ना कोई शिकायत करता हूं जब अपने ही न एक रहे रिश्ते नाते ना नेक रहे दिल मे कुटिल खेल को देख ऐसे सिहर जाता हूं मैं डर जाता हूं मैं।। जीवन में दमन दाम का खेल ढलते सूरज से शाम का मेल न शाम सुहानी होती है न रात, रात को सोती है फिर भी प्रात: का मेल अरुण से देख संवर जाता हूं मैं डर जाता हूं मैं।। ~Aakash Dwivedi ✍️ #कविता #राही #अजनबी #अपने #दोस्त ©Aakash Dwivedi #GoodMorning #कविता #Like #Love #शायरी #AakashDwivedi #quaotes #राही #Life #Poetry
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