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Sandip rohilla
White अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अंधकार सा है जीवन में रोशनी का भी खोज नहीं है। मुस्कुराहटें लापता है मेरी हँसी का खोज नहीं है। ग़म की वर्षा रोज होती हैं बाकि कुछ भी रोज नहीं है। अब तो मुझको इस बाग का खोया माली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ना ईद ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और टूट रहा हूं जब से खुद में सबकुछ जाली सा लगता है। अब इन खाली सड़कों पर सबकुछ खाली सा लगता है। ©Sandip rohilla #sad_quotes Krisswrites Shilpa Yadav Riti sonkar Sircastic Saurabh #शून्य राणा
#sad_quotes Krisswrites Shilpa Yadav Riti sonkar Sircastic Saurabh #शून्य राणा
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है। अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी, तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं। बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर, मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है। उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा, मेरे सूखे होठों को हंसी दी है। पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा, तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह
#boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह
read moreRishi Ranjan
White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं अपना और अपने परिवार का ऐसा नहीं कि वो टूटती नहीं बिखरती, रोती और बिलखती नहीं पर इन सबसे ऊपर होता है उनका आत्म विश्वास खुद को खुद ही जोड़ने का हुनर हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेने का हुनर अपनी कमजोरियों से लड़कर उन्हें अपनी ताकत बना लेने का हुनर नहीं होती हैं वो फूल सी नाज़ुक कलाइयों की जिसमें चूड़ियां पहनाई जा सके बस पहन कर एक घड़ी ही वह चलती हैं,साथ साथ समय के कोशिश करती हैं कदम से कदम मिला कर चलने की अपनी क्षमता और प्रतिभा से बस सब कुछ पाने का सपना देखती हैं नहीं चाहती वो किसी के ऊपर एक पाई पाई का मोहताज होना बस एक सम्मान और व्यक्तिगत पहचान चाहती हैं अपनी कि उनको लोग पिता और पति के नाम से बढ़ कर भी जाने उनके स्वयं की कार्य,कुशलता और सफ़ल होने की मापन प्रणाली में दर्ज करा सके वो नाम अपना कुछ नहीं चाह होती सिवाय इस के उसे भी समाज में एक पुरुष की तरह बराबरी और सम्मान मिले एक लड़की या एक स्त्री से परे होकर समाज की सफलता और असफलता की परिभाषा से उसे भी देखा और गिना जाए ll ©Rishi Ranjan #sad_shayari Anupriya Vikas Sahni kajal saini Preeti Devi Mr anjali Dancer8544 #Mother #स्त्री
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