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samandar Speaks
White ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता राजीव ©samandar Speaks #love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S
#love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S
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White अब क्या बताऊं ये क्या हैं इक सपना है हिंदी में, या उर्दू में ख्वाब है, चाँद का आइना, सूरज का नक़ाब है। बारिशों की छन-छन, जैसे सितारों की सरगोशी, हवा की सरसराहट, मानो ज़ुबां पर कोई नज़्म रुकी हो। लहरों की हलचल, जैसे धड़कता हो समंदर का दिल, भँवरों की गुनगुनाहट, जैसे मौन की गहराई में छुपा एक गीत। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये सुबह का आँचल, जिसमें रौशनी का जादू सिमटा है, ये शाम का सन्नाटा, जैसे थककर कायनात खुद को सुला रही हो। जंगलों की फुसफुसाहट, जैसे पेड़ आपस में राज़ बांट रहे हों, पहाड़ों की बुलंदी, जैसे किसी दुआ की सदा आसमान को छू गई हो। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये बूँदें, जो धरती की प्यास बुझाकर मुस्कुराती हैं, ये मिट्टी की ख़ुशबू, जैसे कुदरत का इश्क़ ज़मीन से लिपट गया हो। ये फूलों का खिलना, जैसे हर सुबह एक नया अफ़साना लिखती हो, ये तितलियों का नृत्य, जैसे रूहानी ख़्वाबों का रंगीन कारवां। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये बादलों का आग़ोश,जैसे किसी मां ने अपने बच्चे को छुपा लिया हो, ये झील का सुकून, जैसे किसी सूफी का दिल। कुदरत का हर रंग, हर सुर, हर अंदाज़, जैसे खुदा ने अपने दिल के सबसे गहरे कोने में हमारे लिए एक नज़्म लिख छोड़ी हो। अब क्या बताऊं ये क्या हैं राजीव@samandar speaks ©samandar Speaks #love_shayari Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा bewakoof
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Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे, चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू, एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका Rajeev ©samandar Speaks #camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof
#camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof
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White मेरी माँ मेरी यादों के चिलमन में आज भी मेरी माँ है, मुझमें ज़िंदा हर पहलू में शामिल मेरी माँ है। रातभर चाँद से गुफ़्तगू करती रोज़, ये मेरी आंखें अब भी रोशन मेरी आंखों में रहती, मेरी माँ है। ढूँढ़ता हूँ उसे मै फ़ज़ा के रास्तों पर हर नई सुबह का पहली तारीख, मेरी माँ है। मेरे कतरे कतरे देते झलकी उसके इल्म की, मेरी घर के हर कोने में दिखती, मेरी माँ है। छोड़ ग़ई है दूर मुझे गुमनाम सी मंजिल पर पर आज भी उसकी आहट कहती,मेरी माँ है। राजीव । ©samandar Speaks #sad_dp Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru bewakoof
#sad_dp Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru bewakoof
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Unsplash मैंने जो देखा वो सच है क्या?ये वही है न ,,लगता तो वो ही है,,, एक बार मुड़ कर देखती हूं !हां! यह वही है, वही है लेकिन ये यहां कैसे? पूछो ,,, नहीं नहीं नहीं ,सफेद शर्ट ,वही गाड़ी पर खड़े होने का अंदाज एक पैर गाड़ी पर दूसरा पैर जमीन पर लेकिन इसने मुझे पहचान क्यों नहीं अब मैं दिखती भी तो वैसी नहीं ,,कहता था_ जब तुम मेरे पास से होकर गुजरोगी तो मेरी मुट्ठी बंद हो जाएगी देखो तो सही एक बार पलट कर,,, ये क्या! आज भी मुट्ठी बंद है ,,, मैं जीत गयी,,, ©reena sagar #library जीत गयी
#library जीत गयी
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से कराहती है गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी भुखमरी सताती है कुछ आकाओ के चंगुल में विश्व जकड़ा है तबाही तबाही जग में दिखाती है डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है डर भय और पेटेंट के बल पर जग को निगलती जाती है शांति का आवरण ओड़ कर विश्व में आतंक फैलाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
#International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
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